युवा कवयित्री रीना सिंह की कविता-बेटी का विवाह

बेटी का विवाह
आंगन की फुलवारी में,
फूल सी बिटिया को बड़ा किया।
पर एक दिन आया ऐसा,
माँ बाप ने खुद से जुदा किया।
बेटी के आँखों में आँसू देख,
जो व्याकुल होते थे
आज उन्हीं माँ बाप ने रो-रो कर,
अपनी बेटी का कन्यादान किया।
बेटी ने पूछा पापा से,
क्या अब मेरा यहाँ कोई स्थान नहीं?
सौंप दिया आपने मुझे,
क्या अब मेरे आँसुओ का ध्यान नहीं?
पापा भी रोते-रोते बोले कि बेटी,
दुनियाँ ने है हमें मजबूर किया।
लेकिन अब भी हैं तू मेरी,
बस मैंने अपने कर्त्तव्य को पूर्ण किया।
इस आँगन की खुशबू ले जाकर,
दूसरे घर को भी महका दिया।
बेटी, बहु, पत्नी अपने हर फर्ज़ को बखूबी अदा किया।
कवयित्री का परिचय
लेखिका रीना सिंह दिल्ली की रहने वाली हैं। इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से 2019 में ग्रेजुएशन और 2021 में एमए किया हैं। कविताएं और शायरियां लिखाना इनका शौक है। इसको व्यक्त करने के लिए इन्होने स्कूल और कॉलेज की पत्रिकाओं में एडिटर की भूमिका निभाई है। इनका मानना है की अपने भावनाओं को लिख कर व्यक्त करना एक बहुत ही अच्छा ज़रिया है। लेखिका अपने विचारो और भावनाओ को इंस्टाग्राम पर ruhani_lafzz पेज पर व्यक्त करती है, इसके अलावा कई किताबो और पत्रिकाओं में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।