Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 27, 2025

युवा कवि विनय अन्थवाल की कविता-मानव मर्यादा

युवा कवि विनय अन्थवाल की कविता-मानव मर्यादा।

मानव मर्यादा

चरित्र अपना देखो
किस ओर ढ़ल रहा है ।
मलिनता लिए उर
किस ओर बढ़ रहा है
तुम हो पुनीत चेतन
विस्मरण क्यों हो रहा है ।
तम का ये जाल कैसा
तुम पर प्रसर रहा है ।

लज्जित सी हो रही हैं
मर्यादा की लकीरें
खंडित सी हो रही हैं
रस्मों की सब दीवारें ।
निर्मल से प्रेम की अब
धारा भी सूख रही है ।
बढ़ती हुई दिलों में
कलुषता भी दिख रही है ।

स्वार्थ का असर ये
रिश्तों में दिख रहा है ।
पेंसों के मोल अब तो
मानुष भी बिक रहा है ।
थमती नहीं बुराई
व्यभिचार बढ़ रहा है ।
मानुष में अब तो देखो
सदाचार घट रहा है ।

चरित्र हो जो ऐसा
सबका कमल सा पावन
उज्ज्वल हो नेह उर में
निश्छल सा होगा फिर मन ।
चरित्र की ही महिमा
इतिहास गा रहा है ।
पवित्र ही हो जीवन
हर शास्त्र कह रहा है ।

कवि का परिचय
नाम -विनय अन्थवाल
शिक्षा -आचार्य (M.A)संस्कृत, B.ed
व्यवसाय-अध्यापन
मूल निवास-ग्राम-चन्दी (चारीधार) पोस्ट-बरसीर जखोली, जिला रुद्रप्रयाग उत्तराखंड।
वर्तमान पता-शिमला बाईपास रोड़ रतनपुर (जागृति विहार) नयागाँव देहरादून, उत्तराखंड।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *