युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-इंसाफ़ की चाहत में
इंसाफ़ की चाहत में
सत्य और इंसाफ पर पड़ जाती है मिट्टी
क्योंकि कानून की देवी के आँखों पर बांध रखी है पट्टी।।
लोकतंत्र के महासमर में ऐसा भी कुछ होता है ।
जो जितना सच्चा होता है वो उतना ज्यादा रोता है।1।
चोर लुटेरे बेईमान भांति-भांति से पूजे जाते हैं ।
धन और लोभ की चाहत में अच्छे अच्छे बिक जाते हैं।2।
इंसाफ़ की चाहत में साहब जूते तक घिस जाते हैं ।
पैसे वालों के जूतों के नीचे न्याय भी रौंदे जाते हैं।
यहाँ बलात्कार और हत्याओं के भी थानों में सौदे हो जाते हैं।3।
जाति पात और धर्म के नाम पर कानून और नियम बनाये जाते हैं।
ग़रीब तरसता है दाने को तो कुछ जाति और धर्म के नाम पर हर सुबिधायें पाते हैं।4।
इंसाफ़ की चाहत में………
डाल कर पैरों में आरक्षण की बेड़ी गधे जिताये जाते हैं।
जो युवा हैं शान देश की रोज़गार माँगने पर वो भी पिटवाए जाते हैं ।5।
कुर्सी की चाहत में भगवान भी कोर्ट बुलाये जाते हैं ।
ये नेता हां हाँ ये नेता भाई से भाई को भी लड़वाते हैं।6।
इंसाफ़ की चाहत में …
आतंकवादियों के मानवाधिकार की बाते यहाँ पर होती हैं।
जिसको सुनकर सुनकर विद्रोही वीर प्रसूता माएँ रोती हैं।7।
आतंकवादियों और हत्यारों के लिए यहाँ रात्रि में न्यायालय तक खुलवाए जाते हैं।
जब कोई वीर आतंकी को मारे तो वीर जेल भिजवाए जाते हैं।8।
इंसाफ़ की चाहत में साब जूते तक घिस जाते हैं ।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।