ये कैसा प्यार, लुटा दिया घरबार, होती रही लूट, मिटाती रही जिस्मानी भूख
सिक्के के की तरह व्यक्ति के व्यक्तित्व के भी दो पहलू होते हैं। व्यक्ति के भीतर दो तरह की प्रवृति होती है। एक दैवीय प्रवृति और दूसरी शैतानी प्रवृति। इनमें से जब एक प्रवृति हावी रहती है, तो दूसरी सुप्त अवस्था में चली जाती है।
व्यक्ति को चाहिए कि दैवीय प्रवृति ही भीतर से जागरूक करता रहे। कहते हैं तभी तो सुबह की शुरुआत अच्छे कामों से ही की जानी चाहिए। साथ ही सोते समय व्यक्ति को यह स्मरण करना चाहिए कि पूरे दिन भर उसने क्या अच्छा और क्या बुरा किया। अपनी बुराई को पहचानकर अगले दिन उससे दूर रहने का संकल्प करें तो शायद शैतानी प्रवृति व्यक्ति से हमेशा दूर ही रहेगी। शैतानी प्रवृति जब व्यक्ति पर हावी होती है, तो उसे सही-गलत का ज्ञान ही नहीं रहता। यानी उसकी बुद्धि काम करना बंद कर देती है। कई बार तो अच्छा भला परिवार भी बिखर जाता है।
बात करीब बीस साल पुरानी है। मैं क्राइम रिपोर्टिंग करता था। देहरादून में सहकारी बैंक के एक अधिकारी के घर डकैती पड़ी। पाश कालोनी स्थित अधिकारी के घर में दिन दिन दहाड़े बदमाश घुसे और उसकी पत्नी के हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए। मुंह में कपड़ा बांध दिया, ताकि शोर न मचा सके। करीब दो घंटे तक बदमाश घर का सारा सामान खंगालते रहे। नकदी, जेवर आदि सभी कीमती सामान घर से ले गए। अधिकारी ने साम, दाम, दंड, भेद आदि सभी तिगड़म से काफी कमाया हुआ था। ऐसे में डकैतों को काफी कुछ इस घर से मिल गया।
रिपोर्ट हुई, पुलिस ने छानबीन की। बदमाशों के बारे में अधिकारी की पत्नी से ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने का पुलिस प्रयास कर रही थी, लेकिन पुलिस को यह हैरानी हो रही थी कि महिला डरी हुई नहीं थी। ऐसे में पुलिस का शक अधिकारी की पत्नी पर ही गया। कुछ ही दिनों में खुलासा हुआ कि वह तो किसी युवक के प्रेम जाल में बंधी हुई है। युवक समीप के मकान में पुताई कर रहा था। एक दिन पानी मांगने के बहाने महिला के घर आया और उसकी तारीफ कर गया। वह बोल गया कि आपकी शक्ल किसी हिरोइन से कम नहीं है। बस यहीं युवक का जादू चल गया।
फिर दोनों में जानपहचान बढ़ने लगी। यह पहचान कब मोहब्बत में बदल गई। इसका अभागी महिला को पता तक नहीं चला। वह तो शैतानी प्रवृति के वश में हो गई। युवक शातिर था। उसे पैसों की जरूरत थी। उसने अपनी मजबूरियां गिनाकर महिला से पैसे मांगे तो महिला ने उसे अपने ही घर में डकैती डालने की सलाह दे डाली। एक तरफ प्रेमी के साथी घर से सामान खंगालते रहे, वहीं दूसरे कमरे में महिला प्रेमी के संग शारीरिक प्यास बुझाती रही।
डकैती का खुलासा हुआ, तो बैंक अधिकारी के पांव तले जमीन खिसक गई। पहले तो वह मानने को तैयार नहीं था कि उसकी पत्नी ऐसा अपराध भी कर सकती है। वह तो अपनी पत्नी पर सबसे ज्यादा विश्वास करता था। वह विश्वासघात करेगी, ऐसा उसने शायद कभी सोचा तक नहीं था। फिर छोटे-छोटे दो बच्चे। एक चार साल व दूसरा दो साल का। गलती करते हुए महिला को बच्चों का भी अहसास नहीं हुआ कि यदि पकड़ी गई तो उसके बाद बच्चों का क्या होगा।
पुलिस ने डकैती के मामले में युवक व उसके कुछ सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया था। साथ ही महिला को भी। महिला का पति इतना सब कुछ होते हुए भी अपनी पत्नी को माफ करने के पक्ष में था। उसमें तो दैवीय प्रवृति हावी थी। उसका कहना था कि पत्नी थाने में सुबह से है। बच्चों को वह पड़ोसियों के हवाले करके आया है। वह जेल जाएगी तो बच्चों का क्या होगा। पुलिस भी ईमानदारी पर उतरी थी। वह महिला को छोड़ने पर राजी नहीं थी। ऐसे में बदमाशों के साथ उसे भी जेल की हवा खानी पड़ी। इस घटना के बाद मैने यह महसूस किया महिला का पति तो भगवान राम से भी ज्यादा महान नजर आ रहा था। राम ने रावण के घर से सीता को लाने के बाद उसकी अग्नि परीक्षा ली थी, लेकिन दैवीय प्रवृति के वशीभूत यह अधिकारी सब कुछ माफ कर नए सिरे से जिंदगी बिताना चाह रहा था। मेरे मन में अब यह सवाल उठता है कि क्या वह महिला को वाकई दिल से माफ कर रहा था। या फिर बच्चों के लालन-पालन के लिए स्वार्थवश।
भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
अविश्वसनीय, परंतु सत्य, मनुष्य के मन को पढ़ना असंभव है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष