युवा कवयित्री किरन पुरोहित की छंद मुक्त शैली की कविता-भरोसा
विषय ― भरोसा
विधा ― छंद मुक्त
बने झूठ के बडे पुलिंदे ,
अंधकार सब ओर है ।
झूठे रिश्ते ,झूठे नाते ,
भ्रम का ओर न छोर है ।।
वही तोड़ता होता जिस पर
करे भरोसा मानव किस पर ?
वही तोड़ता होता जिस पर ,
करें भरोसा मानव किस पर ?
स्वार्थ सिद्धि के हित बनते हैं ,
आज सभी रिश्ते नाते ।
सम्मुख मीठी पीछे कड़वी ,
राजनीति जैसी बातें ।।
इंसान एक पर रूप कई ,
कौन है झूठा कौन सही ।
सच्चाई सिर रख रोए जिस पर ,
करे भरोसा मानव किस पर ?
लगे टूटने सब रिश्ते ,
अपनेपन की भर किश्तें ।
भाई भाई को रहा भूल ,
मां के सीने चुभते शूल ।।
बचपन घर आंगन में सिमटा ,
हामिद अब ना लाता चिमटा ।
दादी कर सहलाए जिस पर ,
करे भरोसा मानव किस पर ।।
कहे देश जिनको तारे ,
वो निकले मन के काले ।
हुए राष्ट्र से जो सम्मानित ,
भटक रहे हो कर अपमानित ।
जिनके रस्ते पर गैर चले ,
वो कर सब से बैर चले ।
कला धर्मिता रोए जिस पर ,
करे भरोसा मानव किस पर ।।
….किरन पुरोहित हिमपुत्री
लेखिका का परिचय —
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता – श्री दीपेंद्र पुरोहित
माता – श्रीमती दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
आयु – 17 वर्ष
अध्ययनरत – कक्षा 12वीं उत्तीर्ण
निवास, कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।