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December 17, 2024

उत्तराखंड कांग्रेस ने प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों को लेकर धामी सरकार को घेरा

उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर धामी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों से उत्तराखंड भीषण वानग्नि से झुलस रहा है। वहीं, वन मंत्री और प्रदेश के मुखिया कुंभकरण की नींद में सोए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा की हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए। कई वनकर्मियों की और स्थानीय लोगों की मौतें हो गई। फिर भी सरकार और प्रशासन का दिल नहीं पिघला। दसौनी ने कहा कि बीते रोज अल्मोड़ा बिनसर में चार वन कर्मियों की मौत अत्यंत दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। दसौनी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कोई स्वाभाविक मौतें नहीं हैं, बल्कि सिस्टम के द्वारा की गई हत्या है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कि कितनी बड़ी विडंबना है कि प्रदेश की जनता बार-बार भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत की सरकार और पांच सांसद देने का काम कर रही है, लेकिन अल्मोड़ा जैसे जिले में एक बर्न वार्ड तक नहीं है। महिला अस्पताल, बेस अस्पताल और मेडिकल कॉलेज, नौ सीएचसी और छह पीएचसी सेंटर होने के बावजूद बर्न अल्मोड़ा में आईसीयू तक नहीं है। जो चार वनकर्मी बुरी तरह से झुलस गए थे, उनका उपचार अल्मोड़ा में नहीं हो पाया। उन्हें हायर सेटर रेफर किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गरिमा ने कहा की लगातार विपक्ष के आगाह करने के बावजूद न तो वन मंत्री और ना ही मुख्यमंत्री ने जंगल में लगी आग की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया। मुख्यमंत्री पहले चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे और अब दूसरे प्रदेशों में हो रहे शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने से उन्हें फुर्सत नहीं है। जिस मुखिया का अपना प्रदेश कभी वनाग्नि और कभी चार धाम यात्रा में हो रही कोताही और अव्यवस्थाओं से जूझ रहा हो, उसका इस तरह से लंबे अरसे तक प्रदेश की अनदेखी करना और राज्य से गायब रहना उनकी असंवेदनशीलता ही दर्शाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने उद्यान घोटाले पर भी सरकार को आढ़े हाथों लिया। कहा कि एक ऐसी कंपनी अर्निका ट्रेडर्स का अक्टूबर 2022 तक कोई अस्तित्व ही नहीं था, उसका इतिहास और अनुभव जांचे बिना पांच जनवरी 2023 को उद्यान विभाग ने उसे लाइसेंस दे दिया। हिमाचल की तर्ज पर बागवानी को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना को शुरू तो किया गया, परंतु मानक पूरे ना होने के बावजूद न सिर्फ सप्लाई के काम का लाइसेंस, बल्कि महंगी दरों पर पौंधा खरीद में भी विभागीय संलिप्तता पूरी तरह से रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि 150 रुपये का पौधा 400 रुपये में खरीदा गया। बिना किसी नियम के कंपनी को लाभान्वित किया गया। विभागीय मंत्री अब कितना ही भ्रष्टाचार पर सख्त रवैया और जीरो टॉलरेंस की बात करें, परंतु हकीकत यह है कि इस पूरे घोटाले में मंत्री की भूमिका भी कम संदिग्ध नहीं है। उच्च न्यायालय के सख्त रवैये के बाद सीबीआई जांच का आदेश दिया गया। विभाग लगातार सीबीआई जांच से बचता रहा और उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कि मंत्री गणेश जोशी बताएं यदि वह भ्रष्टाचार पर नकेल कसना चाहते थे। आरोपियों को सजा दिलवाना चाहते थे, तो सीबीआई जांच न होने के लिए उन्होंने एड़ी चोटी का जोर क्यों लगाया। सुप्रीम कोर्ट में उद्यान विभाग ने मुंह की खाई और विभाग की एसएलपी को खारिज कर दिया गया। देहरादून की ही एक महिला उद्यान अधिकारी के द्वारा उत्तरकाशी के एक नर्सरी संचालक को 3 करोड़ 28 लाख की पेमेंट बिना विभागीय निदेशक की अनुमति से कर दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कभी सेब महोत्सव के नाम पर तो कभी मशरूम, कभी दाल और मसलों के महोत्सव आयोजित कराए गए। इसमें कुल खर्च जहां 22 से 23 करोड़ होना चाहिए था, वहीं खर्चा 67से 68 करोड़ दिखा कर विभाग को चूना लगाया गया। उन्हीं दिनों बावेजा के घर पर 10 लाख रुपए और दफ्तर में 14 लाख रुपए का सौंदर्यकरण किया गया। सवाल ये उठता है कि इतने बड़े घोटाले का पर्दाफाश होने के बावजूद सरकार के हाथ आखिर किसने बांध रखे हैं? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने भारतीय जनता पार्टी पर मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी की घोषणा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी के इतने बुरे दिन आ गए हैं कि जिन दो सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें उसे अपना कोई निष्ठावान कार्यकर्ता प्रत्याशी के रूप में नजर नहीं आ रहा है। मंगलौर से जिस व्यक्ति करतार सिंह भडाना को भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है, वह कांग्रेस के टिकट पर हरियाणा से चुनाव लड़ चुका है। उत्तर प्रदेश में आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ चुका है। बसपा की टिकट पर भी चुनाव लड़ चुका है। अब भाजपा ऐसे दल बदलू पैराशूट व्यक्ति पर अपने समर्पित कार्यकर्ता को नजरअंदाज कर दांव खेलना चाह रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वहीं दूसरी ओर बद्रीनाथ से भी सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली पार्टी के पास अपना कोई कार्यकर्ता प्रत्याशी के रूप में नहीं मिल पाया। गरिमा ने कहा की एक ऐसा व्यक्ति जो बमुश्किल दो महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुआ है और जिसे बद्रीनाथ की जनता ने कांग्रेस के टिकट पर विधायक के रूप में जिताया, उसने न सिर्फ बद्रीनाथ की जनता के जनादेश का अपमान किया, बल्कि मां समान कांग्रेस पार्टी के सीने में भी खंजर भौंकने का काम किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि राजेंद्र भंडारी को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने एक बार फिर अपने चरित्र का परिचय दिया है। अपने जमीनी कार्यकर्ताओं का दोहन करने वाली भाजपा टिकट देते समय विपक्षी दलों के नेताओं पर अधिक भरोसा जताती है। गरिमा ने कहा की ऐसा ही मंजर हमने 2016 और 17 के दौरान देखा, जब भारतीय जनता पार्टी ने बड़े स्तर पर कांग्रेस में तोड़ फोड़ की और न सिर्फ कांग्रेस से गए नेताओं को विधायक का टिकट दिया। साथ ही मंत्रिमंडल में भी ऐसे नेताओं को मौका दिया। कांग्रेस पार्टी दोनों ही विधानसभाओं में अपने समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ही प्रत्याशी बनाने का काम करेगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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