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April 16, 2025

मातृ दिवस पर भूपेन्द्र डोंगरियाल की दो कविताएँ, आडियो में भी सुनिए-माँ है ये मेरी, माँ तो बस माँ होती है

माँ है ये मेरी,
मैं हूँ नन्हा खिलौना।
मैं खेलूँ ये बयाँ,
हूँ तेरा ही छौना।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।।
माँ तूने सुलाया,
है आँचल बिछौना।
वो मीठी सी लोरी,
फिर सपनों में खोना।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।।
माँ तूने जगाया,
कहे उठ मेरे सोना।
मैं झूलूँ ये बयाँ,
तेरे संग में होना।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।।
माँ तूने दिखाया,
ये सूरज सलोना।
लगे धरती मुझको,
जैसे बिखरा है सोना।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।।
दिखे लाल सूरज,
है क्षितिज का कोना।
मेरा लाल सूरज,
मेरा नन्हा खिलौना।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।
हैं खुशियाँ ये तेरी-मेरी।। (कविता अगले पैरे में भी)

ऑडिया में सुनें कविता

दूसरी कविता-माँ तो बस माँ होती है
माँ तो बस माँ होती है।
बच्चों की हर ख़ुशी में,
उसकी सिर्फ़ हाँ होती है।।
जब भी मुश्किल में कोई इन्शाँ होता है,
बच्चा बनकर हर कोई रोता है।
माँ के सानिध्य की हर किसी को,
जब भी दरकार होती है।
माँ के हर शब्द में,
मिठास भरी पुचकार होती है
माँ के लिए शब्द ही नहीं,
बच्चों के भाव भी जबाँ होती है।
माँ तो बस माँ होती है।
बच्चों की हर ख़ुशी में,
उसकी सिर्फ़ हाँ होती है।।
माँ के दामन से,
स्वर्ग सीढ़ी भी कमतर है,
माँ के आँचल की छाँव,
मेघों से भी बढ़कर है।
जिसने भी यह जाना है,
नारी को पहचाना है।
उसके लिए हर माँ,
जीते जी खुद की शां होती है।
माँ तो बस माँ होती है।
बच्चों की हर ख़ुशी में,
उसकी सिर्फ हाँ होती है।।
कवि का परिचय
नाम- भूपेन्द्र डोंगरियाल
जन्म स्थान- ग्राम- बल्यूली, जनपद-अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड।
वर्तमान पता- आईटीआई कैम्पस, निरंजनपुर, देहरादून।
भूपेन्द्र डोंगरियाल उत्तराखण्ड राज्य सरकार के सेवायोजन एवं प्रशिक्षण अनुभाग में अनुदेशक के पद पर कार्यरत हैं। वर्जिन साहित्यपीठ के सौजन्य से अभी तक उनकी पाँच ई बुक्स प्रकाशित हो चुकी हैं।
मोबाइल नम्बर-
8755078998
8218370117

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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