उत्तराखंड के इन दो बच्चों को मिलेगा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, जानिए इनकी साहस की कहानी
उत्तराखंड में अदम्य साहस का परिचय देने पर दो बालकों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चयनीत किया गया है। भारत बाल कल्याण परिषद की ओर से वर्ष 2020 के लिए उत्तराखंड के दो बच्चों को भी वीरता पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इनमें एक बालक नैनीताल जिले से और दूसरा पिथौरागढ़ जिले का निवासी है। आइए हम आपको इन बालकों के साहस की कहानी बताते हैं।
रामनगर के सनी कश्यप ने उफनती हुई कोसी नदी में डूब रहे एक युवा की जान बचाई थी। उक्त युवक सनी से दोगुनी उम्र का था। बावजूद इसके उसने अपनी जान किए बगैर उसकी जान बचाई। सनी राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय मोतीमहल रामनुर, नैनीताल में आठवीं के छात्र हैं।
ये था घटनाक्रम
नौ अगस्त 2020 के दिन कोसी नदी उफनाई हुई थी। 22 साल का रवि कश्यप नदी में बह रहा था। किनारे खड़े कुछ लोग शोर मचा रहे थे तो कुछ वीडियो बना रहे थे। कक्षा आठ में पढ़ने वाले सनी कश्यप से यह देखा नहीं गया और उसने नदी में छलांग लगा दी। लहरों को चीरते हुए उसने रवि को सकुशल किनारे ला दिया। हिम्मत एवं जज्बे के बूते ही आज सनी राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार का हकदार बना है। जिसके पीछे मां माया देवी की प्रेरणा भी है। जिन्होंने उसे हमेशा दूसरों की मदद करने की सीख दी।
आधे घंटे तक मोहित ने दबोचे रखा था गुलदार को
उधर, पिथौरागढ़ के मोहित चंद्र उप्रेती ने गुलदार से साथी की जान बचाई थी। मोहित मूल रूप से न्यू सेरा, पिथौरागढ़ के रहने वाला है। फरवरी 2016 की बात है। नगर के देवपुरी खड़कोट वार्ड में एक सप्ताह से लगातार गुलदार नजर आ रहे थे। गुलदार चार शावकों के साथ अक्सर आसपास नजर आने से लोग भयभीत थे। 15 फरवरी को सुबह करीब 10 बजे गुलदार घनी बस्ती के मध्य स्थित सरस्वती बालिका विद्या मंदिर इंटर कालेज में आ पहुंचे। गनीमत यह थी कि उस दिन स्कूल में छुट्टी थी। स्कूल से सटे रास्ते से लोगों की आवाजाही होती थी। स्कूल के मैदान में खेल रहे मोहित और हेमंत का अचानक गुलदार से सामना हो गया।
आनन-फानन मोहित ने जूट की चटाई गुलदार पर डाली इस पर वह हेमंत पर झपटने को हुआ। तभी मोहित ने चटाई के साथ गुलदार को दबोच लिया। गुलदार ने उसके पैर को जख्मी भी किया था। कांग्रेस नेता खीमराज जोशी ने वन विभाग को सूचना दी तो रेंजर डीसी जोशी के नेतृत्व में वन विभाग की टीम स्कूल पहुंची। करीब आधे घंटे से भी अधिक तक मोहित गुलदार को दबोचे रहा। वन विभाग की टीम ने जाल डालकर उसे पिंजड़े में कैद किया। सभी ने मोहित के अदम्य साहस की सराहना की। वह गुलदार न पकड़ता तो और भी लोग उसके शिकार बनते।
दोनों बच्चों का पुरस्कार के लिए चयन
उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर दोनों बालकों का चयन किया गया है। परिषद की महासचिव पुष्पा मानस ने दोनों बालकों के चयन पर खुशी जताते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हर साल प्रदेश के बच्चे अपने साहस के बूते नाम रोशन कर रहे हैं। इस साल पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन वार्षिक परीक्षाओं के बाद होगा। ऑफलाइन माध्यम से होगा या ऑनलाइन, इस पर अभी दिशा-निर्देश आने बाकी हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।