भारत में कोरोना के नए संक्रमितों के आंकड़ों में कमी, मौत का आंकड़ा भी घटा, 12 साल से ऊपर के बच्चों को टीके की मंजूरी
देशभर में फिलहाल कोरोना के कुल 361340 एक्टिव केस हैं, जो पिछले 151 दिनों में सबसे कम है। देश में रिकवरी रेट बढ़कर 97.54 फीसदी हो गई है। यह मार्च 2020 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले 24 घंटों में देशभर में 36347 लोग इस महामारी से ठीक हुए हैं। अब तक देशभर में कुल 31597982 लोग इस महामारी से ठीक हो चुके हैं।
पिछले सात दिनों के आंकड़े
एक दिन पहले शुक्रवार 20 अगस्त की सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में 36571 नए कोविड मामले सामने आए थे और 540 लोगों की मौत हुई। गुरुवार 19 अगस्त को देश में कोरोना के 36401 नए केस और 530 लोगों की मौत, बुधवार 18 अगस्त को कोरोना के 35178 नए मामले और 440 लोगों की मौत, मंगलवार 17 अगस्त को कोरोना के 25166 नए केस और 437 लोगों की मौत, सोमवार 16 अगस्त को कोरोना के 32937 नए मामले और 417 मरीजों की मौत, रविवार 15 अगस्त को 36083 नए कोविड-19 केस और 493 लोगों की मौत, 14 अगस्त को कोरोनावायरस के 38667 नए मामले और 478 लोगों की इस महामारी से मौत भी हुई थी।
12 साल से ऊपर के बच्चों को टीके की मंजूरी
अब बच्चों के लिए कोरोना टीकाकरण को लेकर अच्छी खबर आ रही है। दुनिया में पहली डीएनए वैक्सीन Zycov-D को भारत में मंजूरी मिल गई है। जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की वैक्सीन Zycov-D को डीसीजीआइ (DCGI)ने शुक्रवार को मंजूरी दी है। वैक्सीन को इमर्जेंसी यूज ऑथोराइजेशन मिलने के बाद इसकी 0, 28 और 56 दिन पर तीनों डोज दी जा सकती हैं। इस वैक्सीन पर अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल हुआ है, जिसमें करीब 28000 लोग शामिल हुए थे। इसकी खासियत है कि बच्चों को सुईं नहीं चुभोई जाएगी।
खास बात यह है कि ये इंजेक्शन मुक्त वैक्सीन है। ये फार्मा जेट इंजेक्शन फ्री सिस्टम के द्वारा दिया जाता है। इसे 2 से 8 डिग्री पर स्टोर किया जा सकता है। इससे पहले, Covishield, कोवैक्सीन, स्पूतनिक, Moderna और J and J को भारत में मंजूरी मिल चुकी है। इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद 12 साल से ऊपर के बच्चों के कोविड वैक्सीनेशन के रास्ते भी खुल गए हैं। जायडस कैडिला ने इस वैक्सीन का निर्माण डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के साथ मिलकर किया है।
इस तरह दी जाएगी वैक्सीन
इस वैक्सीन की खासियत यह भी है कि इसे बिना सुई की मदद से फार्माजेट तकनीक से लगाया जाएगा। इससे साइड इफेक्ट के खतरे कम होते हैं। बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर बांह पर लगाया जाता है। मशीन पर लगे बटन को क्लिक करने से टीका की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।