जोखिम उठाकर एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों की उपलब्धि, वृद्ध के दिल मे लगाया लीडलैस पेसमेकर

फूलती सांसों और बार-बार चक्कर आने की वजह से 71 साल के एक वृद्ध का जीवन संकट में आ गया। इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर भी काटे, लेकिन प्रत्येक दफा डॉक्टरों के आगे उम्र का पड़ाव और बीमारी की गंभीरता आढ़े आ जाती। ऐसे में एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने रोगी के दिल में बिना तार का (लीडलैस) पेसमेकर प्रत्यारोपित कर न केवल उसका जीवन लौटाने में कामयाबी पाई, अपितु एम्स ऋषिकेश में पहली बार इस प्रकार की सर्जरी कर रिकॉर्ड भी बना दिया है। रोगी अब स्वस्थ है और उसे एम्स से छुट्टी दे दी गयी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों की टीम के अनुभव और मेहनत ने ऐसा कारनामा किया। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में गोविन्दपुर का यह वृद्ध दूसरों के सहारे लड़खड़ाते कदमों से नौ जनवरी को एम्स ऋषिकेश पंहुचा था। संस्थान के कार्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ डॉ. बरूण कुमार ने रोगी के स्वास्थ्य की विभिन्न जाच की और पाया कि रोगी के दिल ने सही ढंग से काम करना बंद कर दिया है। इस वजह से उसकी दिल की धड़कनें भी अत्यंन्त धीमी हो गयी हैं। रोगी को बार-बार चक्कर आने की शिकायत के साथ ही थकान व कमजोरी महसूस करना, सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने की समस्या थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. बरूण ने बताया कि रोगी को बचाने के लिए जरूरी था कि उसके हृदय में समय रहते मेस मेकर लगाकर उसके दिल को अतिरिक्त ताकत दी जाय। समस्या रोगी के उम्र को लेकर थी। उम्र ज्यादा होने के कारण ऐसे मामलों में सर्जरी करना अत्यन्त जोखिम भरा निर्णय होता है। उन्होंने बताया कि इन हालात में रोगी और उसके परिवार वालों की काउंसिलिंग कर उन्हें लीडलैस पेसमेकर लगाने की सलाह दी गयी। फिर जोखिम उठाकर 19 जनवरी को रोगी के दिल में पेसमेकर प्रत्यारोपित कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. बरूण ने बताया कि यदि सर्जरी में विलंम्ब होता तो रोगी की मानसिक चेतना में परिवर्तन होने के अलावा बेहोशी के कारण नीचे गिरने पर उसे कभी भी कार्डियक डेथ होने का खतरा बना था। सर्जरी करने वाली डॉक्टरों की टीम में डॉ. बरूण कुमार के अलावा डॉ. कनिका कुकरेजा, डॉ किशन, डॉ रूपेंद्र नाथ साहा और कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ आकाश आदि शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लीडलैस पेसमेकर के लाभ
कोई लीड नहीं होने से संक्रमण और जटिलताओं का कम खतरा रहता है। तेजी से रिकवरी के साथ न्यूनतम आक्रामक और सिंगल-चेंबर ब्रैडीकार्डिया वाले रोगियों के लिए उपयुक्त है। छोटा चीरा, लंबी बैटरी लाइफ (10-15 वर्ष), जटिल पेसिंग आवश्यकताओं (एकल या दोहरे कक्ष) के लिए अधिक बहुमुखी और पल्स जनरेटर के लिए त्वचा के नीचे मात्र एक जेब की आवश्यकता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बेहतर इलाज के लिए कैथ लेब सुविधा
एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह के मुताबिक, एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों का यह कार्य प्रशंसनीय है। असामान्य धड़कन वाले हृदयरोगियों के लिए बिना तार वाले पेसमेकर को प्रत्यारोपित करना एक क्रांतिकारी इलाज है। पारंपरिक पेसमेकर्स के विपरीत यह छोटे उपकरण सीधे दिल में प्रत्यारोपित किए जाते हैं। हृदय रोगियों के बेहतर इलाज के लिए एम्स में विश्व स्तरीय तकनीक आधारित कैथ लेब की सुविधा भी है। हृदय रोग से ग्रसित रोगियों को एम्स की इस सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।