सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में पहली बार सफलतापूर्वक की गई जटिल रेडिकल सिस्टेक्टॉमी विद नियोब्लैडर सर्जरी

उत्तराखंड के सरकारी दून मेडिकल कॉलेज देहरादून के यूरोलॉजी विभाग में पहली बार 37 वर्षीय पुरुष मरीज पर रेडिकल सिस्टेक्टॉमी विद नियोब्लैडर सर्जरी सफलतापूर्वक की गई। मरीज मूत्राशय कैंसर (Carcinoma Bladder) से पीड़ित था। इस जटिल ऑपरेशन से उसे नया जीवन मिला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सात से आठ घंटे चली जटिल सर्जरी
रेडिकल सिस्टेक्टॉमी विद नियोब्लैडर (Radical Cystectomy with Neobladder) सर्जरी अत्यंत जटिल थी और इसे पूरा करने में लगभग 7-8 घंटे का समय लगा। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने में यूरोलॉजी, एनेस्थीसिया, आईसीयू और नर्सिंग स्टाफ की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सर्जरी टीम के प्रमुख सदस्य
सर्जरी टीम में यूरोलॉजी विभाग: प्रो. डॉ. मनोज बिस्वास, डॉ. अमन गुप्ता, डॉ. मरुत बहुगुणा, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. दीपिका, डॉ. इकरा, आईसीयू टीम से डॉ. अतुल, सहायक नर्सिंग स्टाफ से नीलम अवस्थी, मीना कुकरेती, तिलक शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेडिकल सिस्टेक्टॉमी और नियोब्लैडर रिकंस्ट्रक्शन के बारे में
रेडिकल सिस्टेक्टॉमी एक प्रमुख सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें मूत्राशय (Bladder) को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। ताकि कैंसर शरीर में आगे न फैले। नियोब्लैडर रिकंस्ट्रक्शन में आंत के एक हिस्से से एक नया मूत्राशय (Neobladder) बनाया जाता है, जिससे मरीज बिना किसी बाहरी बैग के सामान्य रूप से पेशाब कर सकता है। इस प्रक्रिया से मरीज की जीवनशैली सामान्य बनी रहती है। इससे बाहरी यूरिन बैग की जरूरत नहीं पड़ती और रोगी को मानसिक और सामाजिक मजबूती मिलती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मूत्राशय कैंसर के मुख्य कारण
धूम्रपान और तंबाकू सेवन – यह मूत्राशय कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
प्रदूषित पानी का सेवन – दूषित जल में मौजूद रसायन कैंसर को बढ़ावा देते हैं।
रसायनों के संपर्क में आना – प्लास्टिक, डाई और फैक्ट्री उद्योग में काम करने वालों को अधिक खतरा होता है।
बार-बार यूरिनरी इन्फेक्शन – लंबे समय तक संक्रमण होना मूत्राशय की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्य लक्षण
-पेशाब में खून आना
-बार-बार पेशाब लगना
-पेशाब करने में जलन या दर्द
-पेट के निचले हिस्से या पीठ में लगातार दर्द रहना
ऐसे करें बचाव
-धूम्रपान और तंबाकू से बचें।
-शुद्ध और स्वच्छ पानी पिएं।
-संतुलित आहार लें और हरी सब्जियों का सेवन करें।
-नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
-यदि कोई लक्षण दिखे तो तुरंत यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निष्कर्ष
सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में पहली बार रेडिकल सिस्टेक्टॉमी विद नियोब्लैडर सर्जरी की सफलता उत्तराखंड के चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। इससे यह साबित होता है कि सरकारी अस्पतालों में भी जटिल और उच्चस्तरीय चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। समाज को मूत्राशय कैंसर के प्रति अधिक जागरूक होने की जरूरत है। यदि समय रहते इस बीमारी का पता लग जाए, तो इसे सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है। अगर किसी को पेशाब से जुड़ी कोई समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज से जीवन बचाया जा सकता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।