अखबार बेचने वाले का अनोखा खतरनाक अंदाज, गजब का बॉडी लैंग्वेज, तुकबंदी से कवियों को दी मात, हंसना मना है- देखें वीडियो
ये हॉकर डायलॉग तो सुनाता है, साथ ही यात्रियों को अपनी बॉडी लैंग्वेज और तुकबंदियों को सुनाकर अखबार खरीदने के लिए मजबूर भी कर देता है। समाचार पत्रों को खरीदने के लिए वह लोगों को प्रेरित करता है। ना खरीदने वालों को भी चेतावनी स्वरूप एक संदेश भी देता है। अखबार में क्या छपा है, उसका भी जिक्र करता है। यानी कि उसका हर अंदाज निराला है, जो हो सकता है आपने कहीं देखा न हो और ना ही सुना हो। हम यहां ऐसे ही व्यक्ति की वीडियो को दिखाने जा रहे हैं, जिसके अखबार बेचने के भयानक अंदाज को देखकर आप दातों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे।
इन दिनों सोशल मीडिया का जमाना है। प्रिंट मीडिया में जो खबरें पाठकों तक पहुंचती हैं, वो एक दिन पहले ही घटना होते सोशल मीडिया के जरिये पहुंच जाती है। कोरोनावायरस की पहली लहर के बाद से ही प्रिंट मीडिया को भले ही सरकारों ने राहत दी हो, लेकिन पाठकों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। समाचार पत्रों का सर्कूलेशन घट गया। लोग आनलाइन खबरें पढ़ने लगे। अब ऐसे दौर में यदि कोई समाचार पत्र को पाठकों को बेच दे तो उसे सिकंदर ही कहा जाएगा।
वीडियो में आप देखोगे कि इस अखबार बेचने वाले का स्टाइल काफी यूनिक है। इस तरह पहले आपने कभी किसी पेपर वाले पेपर बेचते नहीं देखा होगा। वायरल हो रहे वीडियो में नज़र आ रहे न्यूज पेपर वाले चाचा ट्रेन में शायराना अंदाज में अखबार बेचते दिख रहे हैं। वे तुकबंदी, शब्दों के अलंकार का इस्तेमाल कर व्याकरण के गुर सिखाते हुए और लोगों को जागरुक करते हुए पेपर बेच रहे हैं। उनकी बातें सुनकर कोई भी शख्स अखबार खरीदने को मजबूर हो जाएगा।
अखबार बेचने की अद्भुत कला…
जय हो pic.twitter.com/varSxS2PaI
— हम-तुम (@BeFizul_) May 13, 2022
सोशल मीडियापर वायरल हो रहे इस वीडियो में आप एक शख्स को ट्रेन की बोगी में हाथ में अखबार लेकर बेचते हुए देख सकते हैं। इनका नाम जीत प्रसाद है। वह बिहार के पटना जिले के खगौल के रहने वाले हैं। ये हर रोज़ पटना से चलने वाली ट्रेनों में अखबार बेचकर अपना गुज़ारा करते हैं। जीत प्रसाद का कहना है कि अखबार बेचने का उनका अपना अनोखा स्टाइल है। वो हर रोज़ अपनी स्टाइल और बॉडी लैंग्वेज के जरिये अखबार बेचते हैं। उनका मानना है कि जो दिखता है वहीं बिकता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।