90 साल के पदमश्री अवार्डी को सरकार ने किया बेघर, अब आठ और कलाकारों को दिया नोटिस
केंद्र ने उन कलाकारों को उनके आवास से बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिन्हें 1970 के दशक में खेल गांव में किराए पर सरकारी बंगला आवंटित किया गया था।
केंद्र ने उन कलाकारों को उनके आवास से बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिन्हें 1970 के दशक में खेल गांव में किराए पर सरकारी बंगला आवंटित किया गया था। इनमें कई पद्म और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता शामिल हैं। दिल्ली के खेलगांव में आर्टिस्ट कोटे से आवंटित किए गए कई घरों को खाली कराने का कोर्ट ने आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार ने आवास खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाई से कलाकार मायूस हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कोर्ट में इस मामले को लेकर चुनौती दी है फिर भी बगैर नोटिस के घरों को खाली कराने की कार्रवाई की जा रही है। आज इस मामले में फिर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। केंद्र ने बुधवार को आठ मशहूर कलाकारों को दो मई तक सरकारी आवास खाली करने को कहा। इन सभी को वर्षों पहले सरकारी आवास आवंटित किए गए थे, लेकिन आवंटन 2014 में निरस्त कर दिया गया था। पद्म श्री से सम्मानित ओडिसी नर्तक 90 वर्षीय गुरु मायाधर राउत से सरकारी आवास खाली कराए जाने की कार्यवाही करने के एक दिन बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।गुरु मायाधर राउत को 2010 में मिला था पद्मश्री सम्मान
दक्षिण दिल्ली के खेलगांव में रह रहे 90 वर्षीय उड़िया (ओडिसी) नर्तक और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित गुरु मायाधर राउत के सरकारी बंगले को खाली करा लिया गया। मंगलवार को उनके घर पहुंचे अधिकारियों ने उनका सामान उठाकर घर से बाहर कर दिया।
90 वर्षीय ओडिसी नर्तक और पद्म श्री सम्मान से सम्मानित गुरु मायाधर राउत को ओडिसी को शास्त्रीय दर्जा देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए 2010 में राष्ट्रपति द्वारा देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। मंगलवार दोपहर राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र उनके अन्य सामानों के साथ सड़क पर पड़ा था, क्योंकि उन्हें बेदखल किया गया था।
2020 में घर खाली करने का मिला नोटिस
70 के दशक में 40-70 वर्ष की आयु के बीच के कलाकारों को तीन साल की शर्तों के लिए मामूली किराए पर आवास आवंटित किया जाता था, जिसे नियमित रूप से बढ़ाया जाता रहा। किराए का विस्तार 2014 में समाप्त हो गया और तब से कलाकारों और संस्कृति मंत्रालय के बीच लगातार पत्रों का आदान-प्रदान होता रहा है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने उन्हें 2020 में इन घरों को खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था। कथक के दिवंगत प्रतिपादक बिरजू महाराज, ध्रुपद प्रतिपादक वसीफुद्दीन डागर, कुचिपुड़ी गुरु जयराम राव और मोहिनीअट्टम के प्रतिपादक भारती शिवाजी सहित कई कलाकारों ने अदालत का रुख किया था।
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कई बार नोटिस देने के बावजूद 28 कलाकारों में से आठ ने अब तक अपना सरकारी आवास खाली नहीं किया है। अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इन आठ कलाकारों ने हमें आश्वासन दिया है कि वे अपना सरकारी बंगला खाली करने की प्रक्रिया में हैं और उन्होंने कुछ और दिन का समय मांगा है। उन्होंने हमें लिखित में दिया है कि वे दो मई तक आवास खाली कर देंगे और हमने उन्हें तब तक का समय दिया है।
सरकार की नीति के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय की सिफारिश पर सामान्य पूल आवासीय आवास में एक विशेष कोटे के तहत 40 कलाकारों को आवास आवंटित किया जा सकता है, यदि वे 20,000 रुपये प्रति माह से कम कमाते हैं। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय शास्त्रीय कलाकार रीता गांगुली को और समय देने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी थी। बता दें कि केंद्र सरकार ने परिसर खाली करने के लिए 31 दिसंबर, 2020 की समय सीमा दी थी, लेकिन याचिका दायर होने के बाद उच्च न्यायालय ने नोटिस पर रोक लगा दी थी।
बता दें कि कुचिपुड़ी नर्तक गुरु जयराम राव की पत्नी वनश्री राव, जिन्हें 1987 में एक घर आवंटित किया गया था। उन्होंने कहा कि वे भी घर खाली करने की प्रक्रिया में हैं। राव ने बुधवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, हमने घरेलू सामानों की पैकिंग शुरू कर दी है। सरकार हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है। हम जल्द ही आवास खाली कर देंगे। गौरतलब है कि हाल ही में “अवैध कब्जाधारियों” के खिलाफ अपने अभियान के तहत लोकसभा सदस्य चिराग पासवान को 12 जनपथ बंगले से बेदखल कर दिया था, जो उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित किया गया था।




