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March 11, 2025

शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-वक्त तो गुजर जाता है

श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।

वक्त तो गुजर जाता है

वक्त तो गुजर जाता है,
यूं कभी कहानी बनकर।
अच्छी बुरी यादें रह जाती हैं,
यूं कभी निशानी बनकर।।

पर अपनों संग बिताए हर पल,
हमेशा दिल में याद रहते।
कभी मन की हसीं बनकर,
तो कभी आंखों का पानी बनकर।

वक्त भी क्या क्या सिखा देता यहां,
कभी अपना तो,कभी पराया बनकर।
खुद तो बीत जाता वक्त पर,
यादें छोड़ जाता कहानी बनकर।।

शायद दो हजार बाईस में वक्त,
आए कुछ अच्छा बनकर।
सारे दुःख मिट जाएं सभी के,
खुशियां मिले बहार बनकर।।

आंखो से बहे अब न आंसू,
बड़ी सी जलधारा बनकर।
जिंदगी किसी की भी हो ईश्वर,
करना मदद साया बनकर।।

इस सुंदर प्रकृति को सदा ईश्वर,
बचाए रखना पालनहार बनकर।
आए कष्ट यदि कभी जीवन में,
आना जीवन में मददगार बनकर।

मददगार बनकर, मददगार बनकर।

कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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