शिक्षक एवं कवि रामचन्द्र नौटियाल की कविता- अस्तित्व
अस्तित्व
पहाड़ का पानी
यहां की जवानी
अपने अस्तित्व
को लेकर
अभी भी तरस रही है
क्योंकि-
पहाड़ ने कभी
सोचा भी नहीं
था कि विकास के
नाम पर सारी नदियां
व पहाड़ हो जायेंगे
सरकारी
आस्था व श्रद्धा
भी हो जायेगी सरकारी
विचार व स्वछन्दता
भी हो जायेगी सरकारी
पहाड़ ने कभी
यह भी न सोचा होगा कि-
विकास के आंकडे
को बनाये रखने हेतु
पहाड के
एक शहर -“टिहरी” को
यादें /इतिहास/विरासत
परम्परायें / संस्कृति
छोड़कर
अपना अस्तित्व
ही खोना पड़ेगा
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत बढ़िया?✊??✊??✊?
बहुत सुंदर कविता