शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की कविता-दौर भी बदल चुका है

दौर भी बदल चुका है
अब तो दौर भी बदल चुका है
सभी का ठौर भी बदल चुका है
सब कुछ बदल चुका है
भाव भी बदले तो
विचारों ने बदलने की
अंगडाइयां ली
बस सब धन से मन
धन से तन
धन से ही जीवन
भाव विचार सब
अपनत्व भाईचारा सब
लाभ हानि
व्यस्तता के गुणा भाग में
नीरस होता जीवन
पहले भावनाएं विचार
आगे थे
पर स्टेटस ने सब भावनाओं को
हजम कर लिया
एक दिन सब धरा का धरा रह
रह जायेगा
सब कुछ जमीं पर आ जायेगा
बस विचार व
भावना ही इस दुनिया
के रंगमंच मे रहेगी
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।