शिक्षक एवं कवि रामचन्द्र नौटियाल की कविता-ऐ वक्त
ऐ वक्त
ऐ वक्त
सृजन…
शान्ति …
सुकून ….
गांव लौटा दे मुझे
ऐ वक्त वो
स्कूल का विद्यार्थी
जीवन लौटा दे मुझे
वो पिट्ठाग्राम
वो गुली डंडा
वो राजा बजी सिपाही
चोर
खेल लौटा दे मुझे
दूर देश प्रदेश में गये अपनों की
चिट्ठी पत्री का इन्तजार
लौटा दे मुझे
मैं जब जब इस तंग
जिन्दगी से उब जाता हूं
बहुत याद आते हैं
वो दोस्त मुझे
स्कूल से छुट्टी के वक्त
की ओ भूख
याद आती है मुझे
कभी हंसाती
और
कभी रुलाती है मुझे
ओ रौनक
वो दोस्तों की महफ़िल
गुजरे जमाने के चेहरे
बरबस याद आते हैं मुझे
अपनों की याद में
दणमण आंसू
लंटा दे मूझे
वो बाजूबन्द
तान्दि के गीत
छोपति
अकेलेपन की
कल्पना लौटा दे मुझे
मां के हाथ की दी हुई
वो रोटी व गुड़ याद
आता है मुझे
भूख में न जाने
कितना स्वाद
उमड़ पड़ता था
उस गुड़ रोटी में–
उस चटनी रोटी में…
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।