शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की कविता-एक समय आयेगा, शहर से गांव को तरसेंगे लोग
एक समय आयेगा
एक समय आयेगा जब
शहर से गांव को तरसेंगे लोग
एक समय आयेगा जब
पैदल चलने को तरसेंगे लोग
एक समय आयेगा जब
अपनी विरासत से
जुडना चाहेंगै लोग
पैदल बारात
का इन्जाय करना चाहेंगे लोग
इधर उधर भटक कर अपनी
सनातन संस्कृति में आयेंगे लोग
एक समय आयेगा जब भारत,को
विश्व गुरु का गौरव लौटायेंगे लोग
एक समय आयेगा जब
शहरों से गांव को लौटने को
तरसेंगे लोग
एक समय आयेगा जब
अपनी मिट्टी से जुडेंगे लोग
विश्व में मां भारती का डंका बजेगा
संस्कृत वेदों और ॠषियों कै शोध
को ढूंढेंगे लोग
शान्ति की खोज में हिमालय की
शान्त वादियों मे निकलेंगे लोग
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। वह कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां देते रहते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।