इश्क़, होता है होने दो, प्यार होता है होने दो। दिल न माने होने दो। प्रेम रस का पान हो...
Vinay Anthwal
जीवन सुन्दर फूलों जैसा गुणों की इसमें सुगन्ध होती है। मन को अपने निर्मल रखना, बुराइयों से बचकर रहना। सच्चा...
मयाली पहाड़ियों के बीच में खिला बाजार फूल सा सुंदर सजीला सज रहा सजीव हो महबूब सा। सुहावनी समीर है...
चैतन्य सुमन हम बच्चे हैं मन के सच्चे धरती के हैं फूल सुनहरे। घर की रौनक़ हम बच्चे हैं मस्ती...
मानव मर्यादा चरित्र अपना देखो किस ओर ढ़ल रहा है । मलिनता लिए उर किस ओर बढ़ रहा है तुम...
अज्ञानान्धकार तिमिर ये कैसा प्रसर रहा है मूढ़ मानव बन रहा है। अवनि भी अब रुठ रही है तरुणी निर्लज्ज...
हम बदल रहे हैं हम कैसे अब बदल रहे हैं मर्यादाएँ तोड़ रहे हैं। भौतिकता में भटक रहे हैं चरित्र...
मनोभाव सोचता हूँ मैं भी अक्सर कुछ ऐसा अब कर जाऊँ । ऋषयों की भाँति मैं भी परमतत्व को जान...