मैं ही मैं, मैं ही मैं सुबह - शाम, मैं ही मैं। मैं ही मैं, मैं ही मैं। जब भी...
Poet
ज्योति पाकर हीरा कोयलों से निकलता है। दाग़ियों को छोड़ सुशासन बाबू चमकता है।। महत्वाकांक्षी तम में भटक कोयलों से...
गणतंत्र का पर्व गणतंत्र का शुभ दिवस आया। भारत मां का मन हरषाया। आसमान को छूए तिरंगा शीश गर्व से...
दिल में खोट है राम की सिर्फ़ ओट है। वरना दिल में खोट है। चरण उनके चूमेंगे जो भी उनके...
राम धाम जो आया है, जीवन सफल बनाया है। अवधपुरी में आया जो सरयू नद में नहाया जो। जीवन उसका...
भोर का शोर। मचा चहुं ओर। टूट अब गई नींद की डोर। कलरव का अब रहा ना दौर। ज़िंदगी चली...
ज़िंदगी जीत - हार हो गई। बेल - बूटे कभी कढ़े नहीं। किनारी गोटे भी जड़े नहीं। ज़िंदगी तार -...
हाथों की चंद लकीरों से हम लिखते रहे किस्मत सदा। आड़ी, तिरछी, गोल लकीरें। लिखें हमारी ये तक़दीरें। लकीरों के...
कभी शहर, कभी गांव में रहे। मुफ़लिस फ़िर भी तनाव में रहे। छोड़कर वे उलाहनों की छत कभी धूप, कभी...
वादों के सौदागर वादों के सौदागर आएंगे। फ़िर वादों से वे भरमाएंगे। चुग्गे डाल वे तुम्हारे आगे फ़िर जाल में...