अँधेरे मिटें रोशनी जगमगाए। रौनक ही रौनक ढेर घर में समाए।। बढ़े खुशहाली पाएं धन मान काफी। ख़ुशी देने लक्ष्मी...
Literature
तम गहराता रहा। दीया जलता रहा। सवेरा होने तक यह अखंड जलेगा। रात की आंखों में बैरी - सा खलेगा।...
स्पर्श हिमालय फाउंडेशन के तत्वावधान में देहरादून के थानो में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव ‘स्पर्श...
कितने सागर डूबे जिसमें । उन्हीं नयनों का नीर हूं मैं॥ हर पल जो जी रहा है डर -डर के।...
बेटियाँ सशस्त्र हो, न कोई अब निशस्त्र हो मातृशक्ति एक हो, जो न्यायहित में नेक हो। कदम कदम में दुष्ट...
हम दोनों को हम दोनों जैसे बहुत मिलेंगे, बस हम ही एक दूजे को ना मिल पायेंगे, सफ़र करते करते...
प्यासा तेरे द्वार पर अपनी आन बान और शान पर नित, सागर क्यूं इठलाए। प्यासा तेरे द्वार पर, प्यासा ही...
परमाणु छाया में मानवता जब संसार हुआ विकट, स्वार्थ में लीन, नैतिकता खो चुकी, मनुष्य हुआ अधीन। पर्यावरण का संकट,...
मेरे दिल में बस तू ही तू चुपचाप बसा होता है। जैसे सबकी आँखों से छिपा कंजूस का धन होता...
कुछ एक थे जो पुराने किस्सों में बर्बादी हमारी लिख गये आज उन किस्सों के कुछ हिस्सों को बयां करते...