ग्राफिक एरा में सर चढ़कर बोला गायक राजेश सिंह की आवाज का जादू, बेच दी क्यों जिंदगी दो चार आने के लिए
ग्राफिक एरा की महफिल- ए- ग़ज़ल में प्रख्यात गायक राजेश सिंह की आवाज और अंदाज का जादू सम्मोहन की तरह...
Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.
Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.
ग्राफिक एरा की महफिल- ए- ग़ज़ल में प्रख्यात गायक राजेश सिंह की आवाज और अंदाज का जादू सम्मोहन की तरह...
तेरी वज्म में चले आये थे जो कितने ही अनजान चेहरे । हम दूर खड़े हो कर भी पहचान रहे...
रात भर मुझको सोचना छोड़ो। दिन में ख्वाबों को देखना छोड़ो।। दूर ही दूर होते जाओगे। दरमियां कुछ तो फासला...
ताले की चाबी रक्खी है। कितनी खुशफहमी रक्खी है।। तुमने यारब मन में अपने। भर कितनी तल्खी रक्खी है।। अपना...
सोया नसीब यूं कि जगाया न जा सका। फिर भी खुदा से अपना भरोसा न जा सका।। दिन-रात मांगते रहे...
सारू जन- लगल्यूं थैं रैंद सारू, झाऽड़ कू. उनि- पुगड़्यूं थैं रैंद सारू, बाऽड़ कू.. एक- हैंका सारू, हर -...
ल्याखा-पाढ़ा सुड़ीं-जड़ीं छ्वीं-बतौंम, द्वी-चार ह्वे जांद. गुणीं-लिखीं कितब्यूंम, नै बिचार ह्वे जांद.. धरोहर च हमरी, यीं बिट्वाऴा-समाऴा, नै- पुरणि कितब्यूं...
ठक-ठकि कनि ठकठकि लगदि छै, तब गौं-मुल़क आंणा की. कनि मरमरि हुंदि छैं, ब्वे क हथा-रोटि खांणा की.. मैना भर...
समै कि पूछ समै फरि लग्या-फांकुण, सरि-सरि दौड़णूं च. कोच- जो यो पूछ पकड़ि, सरर् मरोरड़णूं च.. समै त चल़णु...
इनै मोबैल उनै टेलीविजन इनै मोबैल - उनै टेलीविजन, चल़णू च. कैथैं यो - कैथैं वो प्रोग्राम, भलु लगणू च.....
You cannot copy content of this page