ओ गुजरा हुआ जमाना आज, मुझे बहुत याद आ रहा है। बिछड़े हैं जो अपने मुझसे, ओ दौर याद आ...
शिक्षिका उषा सागर की कविता
खुशियों से कभी झोली भर दे इतनी जो संभाले नहीं संभलती हैं। पलभर में छीन खुशियों को, दुःखों के समन्दर...
मां सरस्वती के आगमन पर, सजने लगी धरती सारी। खिलने लगे फूल रंग बिरंगे, वन, उपवन, खेतों में बारी-बारी।। मधुमास...
एक कोशिश तो बाकी है टूटे हैं पंख अभी तो क्या, हौसलों की उड़ान बाकी है। क्षितिज तक उड़ान न...
युग युग से हर नारी का है मन -मनोरथ स्वतंत्रता, समानता का समानाधिकार मिले समाज के हर एक पहलू और...
मां, मायके को तरसे तेरी बिटिया जाने कौन से देश गयी तुम, पता ठिकाना मालूम नहीं। किससे पूछूं हाल तुम्हारा,...
शब्द ढूंढती रही क्या कहूं, कैसे कहूं मैं सदा यूं सोचती रही दिल में हजारों जख्म थे मरहम तुमसे मिले,...
समर्पण जन्मी है जिस घर में बेटी किलकारियों ने रौनक उसकी बढ़ाई कोई कहता पैदा हुई है बेटी कोई कहे...
ग्रीष्म ऋतु का पदार्पण सुहानी वसंत ऋतु बीत गयी भीषण ग्रीष्म ने किया पदार्पण चारों दिशाओं में भीषण ज्वाला से...
अमीर कौन? कौन इस जग में अमीर कहलाया धन अथाह जिनके पास था या जो औरों के काम आया कौन...