आखिर है क्या ये जीत और हार मन की हो तो जीत ना तो हार, या इकरार को जीत कह...
युवा कवयित्री
सुकून सुकून किसी की चाहत मे नहीं, सुकून किसी के इबादत मे नहीं, सुकून किसी को पा लेने का नाम...
कौन कहता है अकेलापन दर्द देता है, ये वो वक्त है जब इंसान खुद को परखता है! दर्द तो दिल...
एक दायरे तक हो खुल कर हँसना खुल कर रोना जो भी हो बस, एक दायरे तक हो। बदसुलूकी अंत...
जरूरी है क्या? हर लड़का फिल्मों में दिखाए गए अमीर बाप की बिगड़ी औलाद नही होता। कुछ लड़के घर की...
लोगों को सिर्फ क्यों दिखती है शहर की चहल पहल, शानों-शौक़त क्यों किसी को नही दिखती वो कूड़ा बिनती लाचार...
आज के हालात.. मक़्कारी आती नहीं हमें रास बड़े बड़े मिले मुझे सलाहकार और उनके हर कदम हैं मेरे खिलाफ...
एक अजब-सी उलझन में उलझी पड़ी हैं ज़िन्दगी न जाने की किस मंज़िल की तरफ भागे जा रहें न जाने...
लोकतंत्र है यह कैसा? जहां चले बस तानाशाही और पैसा, मांगते जो चुनाव में वोट… छापते फिर उसपर नोट। लोकमत...