बहुत है…… खुल के मुस्कराने का जी चाहता है……पर गमो का कारवा भी तो बहुत है…….. उडना चाहती हूँ खुले...
कविता
सदनि बटि इनीं हमरि रै नौं धरैं , सदनि बटि इनीं.तुमरि रै बीट तरै , सदनि बटि इनीं.. लोगौं धान...
एक----बच्चे नेआंसुओं मे डूबी नाव सी आंखों से मां को देखाबच्चे को बहता दिखा अफनि चेहरा दोनो एक दूसरे कोकिनारे...
शरद का पूनमऋतुओं में शरद ऋतु की बात कुछ निराली है।इस ऋतु में फैली रहती चहुँ ओर हरियाली है।फल फूलों...
जो किसी निर्दोष को दुख देता है, उसे कभी सुख की प्राप्ति नहीं होती । भगवान उसका सुख धीरे-धीरे छीन...
किसने बनाया उत्तराखंड किसका हो के रह गया,कैसे सपने देखे हमने केसे बन के रह गयाचम्मचों की फौज है नेताओं...
भारत माता तेरे देश में किसान गरीब क्यों ?आज़ादी से पहले भी वो गरीब था आज भी ज्यों का त्योंदारू...
मां जबसे इस शहर में आया हूँन ताजा पानी पिया हूँन ताजी सब्जी खाया हूँमा जबसे इस शहर में आया...
कोरोना है एक आईनाजिसका उदय देश है चाइना…..मच रही है एक तबाहीघर पर ही रहना है भाई….नहीं चलेगी अब मनमानीआज...
बजदी बांसुरी ------- बजदी मनम्वोहनि बांसुरी हो ,बजदी मनम्वोहिनि बांसुरी ।धकध्याट करदी हाय जिकूड़ी ,धकध्याट करदी हो ।। अछैगे घाम...