दीवेंद्र सिवाच आकाशवाणी देहरादन में प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव हैं। इससे पहले वह इसी पद पर आकाशवाणी इलाहबाद में तैनात थे। सरल...
साहित्य
करो मेहनत वही पूजा! लिखूं ऐसा कभी मैं भी, कि जन के मन समा जाए। मुझे संतोष दे मन का,...
मेरे पेचीदा से हालात। दिलों के जज़्बात।। तेरी चटपटी सी बात। मेरे हाँथों में तेरा हाथ। लेकर आई है ज़ज्बातों...
कोई व्यक्ति जब खुद गलत राह में होता है, तो वह दूसरों को ऐसे मार्ग पर न चलने के लिए...
फकीर हूँ पर लकीर का नही शमशीर हूँ खंजर नही जानता हूँ ज़माने का अंदाज़ा रखना पहचानता हूँ गैरज़रूरी अपनापन...
कभी कभी कुछ लोग हाँ वही कुछ लोग कहते है वो जिसे पीठ पीछे की बात कहते हैं पर मैं...
कानून हमें आरक्षण दे दो। मेरा प्यारा हिन्दुस्तान, जहां आरक्षण सदाबहार। आजादी के वर्ष बहत्तर, आरक्षण ही खेवनहार। मेरा प्यारा...
दो दिन की काट खाने वाली ठंड के बाद जब चटक धूप खिली। यह पहाड़ी धूप है। जिसमें धुंध नहीं...
लेना देना और सीख जो सिखाए ज्ञान तुमको , उससे ज्ञान तुम लेना। जो बताये चोर का रस्ता, उस पर...
आज मैं भी मुस्कुराना चाहता हूँ। साल बीसा को भुलाना चाहता हूँ। आ गया है द्वार पे नव वर्ष देखो।...