वाह ! भाई कोरोना। तू आ गया ! हम सदा ही जमीन पर भार रहे। जिंदा लाश का भार ढोते...
कविता
मृत्यु का यह मुख्यद्वार मुबारक यह चुनावी त्योहार मुबारक। यह ज़हरीली फुहार मुबारक मेरी इक इक साँसो का होता। तुमको...
महाकाल कोरोना आया, सर पर मंडराया मौत का साया ! सवा तीन लाख आज संक्रमित, समय नहीं होने का भ्रमित।...
बाहर कोरोना कातिल खड़ा है वजह क्या है, बाहर निकलने की, विक्षिप्त कातिल बाहर खड़ा है। जरूरत क्या,कातिल से मिलने...
काली चादर उर में न जानें आज, छाया क्यों। तम जैसे काली चादर ओढ़े। दिशा दिशा बिखरी है क्यों, तम...
जिंदगी वतन के नाम क्या है इंसान बता, तेरी ये जिंदगी, जो काम ना आए वतन के। मौके तो बहुत...
महानायक भीमराव अंबेडकर चलो आज सुनाएं बात जुबानी, महू मध्यप्रदेश की ये,है कहानी। पैदा होगा ऐसा लाल धरा में, गजब...
नव संवत्सर मंगलमय हो शान्त सौम्य सुखकर दुखहर्ता हो, शुभ मंगल हो नव संवत्सर। शुभ प्रकाशित, उल्लसित हो, कण्टक व्याधि...
मेरी पीड़ा नहीं कठोर हृदय लिए खड़ा हूं, मेरे हृदय में भी, भरी नमी है। दुःख बोल नहीं सकता अपना,...
चन्द्र कुंवर की याद में मेरी इच्छा जी सकूं इस संसार में जब तक। महक बिखेरता चारों ओर मैं जाऊं...