सरकारी नौकरियों में एससी और एसटी को पदोन्नति के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, हल्के नहीं होंगे मानक

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने आज ये फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने माना है कि हम प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकते। राज्य एससी और एसटी प्रतिनिधित्व के संबंध में मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य हैं। कोर्ट ने कहा कि एक निश्चित अवधि के बाद प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है। ये समीक्षा अवधि केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित की जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए अदालत कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकती। राज्य अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के संबंध में मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य है। कैडर आधारित रिक्तियों के आधार पर आरक्षण पर डेटा एकत्र किया जाना चाहिए। राज्यों को आरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से समीक्षा करनी चाहिए. केंद्र सरकार समीक्षा की अवधि निर्धारित करेगी। नागराज मामले में फैसले का संभावित प्रभाव होगा।
कोर्ट ने कहा कि कैडर की बजाए समूहों के आधार पर डेटा इकट्ठा करना फैसले का उल्लंघन होता है। सरकारी आरक्षण नीतियों की वैधता के मुख्य मुद्दे पर 24 फरवरी से सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा कि हमने 6 प्वाइंट पर इस मुद्दे को बांटा है और उत्तर दिया है। एक जरनैल सिंह और नागराज के प्रकाश में मानदंड है। हमने माना है कि हम प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकते हैं। राज्य एससी और एसटी प्रतिनिधित्व के संबंध में मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पदों में आरक्षण के लिए मात्रात्मक आंकड़ों के संग्रह के लिए कैडर आधार होना चाहिए। हमने अनुसूचित जाति और जनजाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का निर्धारण करने के लिए मानदंड का आकलन करने के लिए इसे राज्य पर छोड़ दिया है। 26 अक्तूबर 2021 को जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह और विभिन्न राज्यों के लिए उपस्थित अन्य वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
केंद्र ने पहले पीठ से कहा था कि यह जीवन का एक तथ्य है कि लगभग 75 वर्षों के बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को अगड़ी जातियों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया गया है। वेणुगोपाल ने प्रस्तुत किया था कि एससी और एसटी से संबंधित लोगों के लिए समूह ए श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना अधिक कठिन है। समय आ गया है जब शीर्ष अदालत को रिक्तियों को भरने के लिए एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग ( OBC) के लिए कुछ ठोस आधार देना चाहिए।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।