आ रही है ऐसी कार, दो रुपये में चलेगी एक किलोमीटर, एक बार टंकी फुल और 600 किमी का सफर, जानिए खासियत
देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने के साथ ही अब इसके विकल्पों की तलाश भी शुरू हो चुकी है। इन्हीं विकल्प में सबसे बेहतर विकल्प ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली कार को माना जा रहा है।

इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो चुकी है। इसकी टंकी 5 मिनट में ही फुल हो जाती है। मंत्री को ड्राइवर के बगल में कार की आगे की सीट पर बैठकर संसद पहुंचे। सफेद रंग की कार में हरे रंग की नंबर प्लेट है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों में भी किया जाता है। इसे लेकर नितिन गडकरी ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में भारत का पहली हाइड्रोजन आधारित टोयोटा मिराई लॉन्च की गई थी। उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया था कि कैसे ग्रीन हाइड्रोजन कार को पावर दे सकती है। ग्रीन हाइड्रोजन भारत की ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुशल और पर्यावरण के अनुकूल है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन बनाने में 70 फीसद कॉस्ट पावर की है। पावर सस्ती हो जाएगी। पेट्रोल डीजल तो छोड़ो। इलेक्ट्रिक से थोड़ा ज़्यादा 2 रु प्रति किलोमीटर तक इसमें खर्च आएगा। ऐसा हमारा अनुमान है। इलेक्ट्रिक तो 1रु प्रति किलोमीटर की एवरेज देती है है। पेट्रोल कार में खर्च 10 रु है। पानी बहुत मिल जाएगा। पावर डेढ़ रुपये, दो रुपये यूनिट हो जाएगी। पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग होंगे तो हाइड्रोजन को कंप्रेस करना होगा। ग्रीन हाइड्रोजन कार में करीब साढ़े 5 किलो तक हाइड्रोजन आएगा।
उन्होंने आगे कहा कि ऑर्गेनिक वेस्ट जो कचरा है उससे ग्लास मेटल और प्लास्टिक अलग करके उस कचरे को बायो डाइजेस्ट में डालकर मिथेन तैयार करके उससे भी ग्रीन हाइड्रोजन तैयार होगा। ग्रीन हाइड्रोजन पानी या ऑर्गेनिक वेस्ट से बनता है। केवल हाइड्रोजन का 3 हजार करोड़ का मिशन भारत सरकार ने शुरू किया है। अब हम हाइड्रोजन एनर्जी को एक्सपोर्ट करने वाले देश बनेंगे। फिलहाल ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत 5 डॉलर प्रति किलो के आसपास है। हाइड्रोजन कार की सोच को सही से ज़मीन पर उतारने को लेकर चुनौती कीमत को 1 डॉलर प्रति किलो तक लाने की भी है।
गौरतलब है कि मंत्री ने जनवरी में घोषणा की थी कि वह खुद हाइड्रोजन से चलने वाली कार का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा था कि जापान की टोयोटा कंपनी ने मुझे एक ऐसा वाहन दिया है जो ग्रीन हाइड्रोजन से चलता है। मैं इसे खुद पायलट प्रोजेक्ट (वैकल्पिक ईंधन पर) के तौर पर इस्तेमाल करूंगा। एक बेहतर कल को लेकर आज की ये कवायद।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।