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December 19, 2024

साठ साल पहले चंदामामा में पढ़ी कहानी, अब कविता के माध्यम से किया बयां

लेखक ने करीब 60-62 वर्ष पूर्व बच्चों की पत्रिका "चन्दामामा" में एक कहानी पढ़ी थी। लेखक का नाम याद नहीं। प्रस्तुत कविता की आधार कल्पना उस कहानी से है।

लेखक ने करीब 60-62 वर्ष पूर्व बच्चों की पत्रिका “चन्दामामा” में एक कहानी पढ़ी थी। लेखक का नाम याद नहीं। प्रस्तुत कविता की आधार कल्पना उस कहानी से है।

[ मृत्युदेव के साथ समझौता ]

आने से पहले तुम कृपया, समाचार दे देना।
मैं भी सब पूरा कर लूँगा, अपना लेना देना।।
मृत्युदेव से किया निवेदन, मैंने सादर सविनय।
आश्वासन दे दिया उन्होंने, और हुआ मैं निर्भय।।-1

और अचानक एक दिवस वे, खड़े हो गये आ कर पास।
बोले चलो नहीं अब रुकना, मिला आपको अब है पास।।
चकित सम्भ्रमित क्रोधित मैं तब, बोला धोखा यह निश्चित।
नहीं पत्र या फोन मेल भी, यह व्यवहार पूर्ण अनुचित।।….2

कहने लगे नहीं कुछ ऐसा, चार पत्र भेजे मैंने।
तुमने बिना पढ़े ही उनको, दराज में रक्खा अपने।।
यह आदत है तुम्हें पुरानी, मतलब का पढ़ते हो।
और न जिसमें लाभ समझते, वह कूड़ा करते हो।।….3

सुन कर मैं तो हुआ अचम्भित, मति पर जोर लगाया।
लेकिन कहीं जरा थोड़ा भी, याद नहीं कर पाया।।
सरोष मैंने कहा मृत्यु से, अच्छी नहीं ठिठोली।
झूठे ही हैं आप और सब बात आपकी पोली।।….4

अगर कभी भेजी है चिट्ठी, तो फिर मुझे बतायें।
रसीद हो या प्राप्ति पत्र हो, कुछ प्रमाण दिखलायें।।
कहा उन्होंने प्रमाण सारे, मित्र तुम्हारे ही हैं पास।
गिना रहा हूँ गौर करो कुछ, होते हो क्यों व्यर्थ उदास।।….5

भेजा मैंने प्रथम पत्र जब, दिया दृष्टि ने दगा।
तुमने ध्यान न दिया जरा भी, चश्मा लिया लगा।।
और दूसरा पत्र मिला जब, केश लगे पकने।
पढ़ने से तुमने मुँह मोड़ा, लगे उन्हें रँगने।।….6

पत्र तीसरा भेजा मैंने, मान तुम्हारी बात।
एक एक कर लगे टपकने, मुँह से क्रम से दाँत।।
लेकिन तुम हो बड़े हठीले, कभी न माने हार।
मुख में सजा लिया है तुमने, नया दन्त सम्भार।।….7

तदनन्तर फिर भेजी मैंने, चौथी चिट्ठी एक।
पत्र न था था निबन्ध पूरा, परिच्छेद थे अनेक।।
हाथ पैर थे लगे काँपने, और काँपती गर्दन।
किन्तु लगे करवाने तुम तो, विविध तैल मर्दन।।….8

तुमने भले नहीं देखे या, समझे मेरे पत्र।
किन्तु घड़ी चलती ही रहती, यत्र तत्र सर्वत्र।।
उठो चलो अब देर मत करो, करो न पश्चात्ताप।
दे दो स्थान नयों को अपना, अब तुम अपने आप।।….9

कवि का परिचय
नाम: मुकुन्द नीलकण्ठ जोशी
शिक्षा: एम.एससी., भूविज्ञान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), पीएचडी. (हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय)
व्यावसायिक कार्य: डीबीएस. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, देहरादून में भूविज्ञान अध्यापन।
मेल— mukund13joshi@rediffmail.com
व्हॉट्सएप नंबर— 8859996565

 

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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