उत्तराखंड में ब्लैक फंगस से दूसरी मौत, एम्स में 27 मरीज भर्ती, जानिए इस बीमारी के बारे में, पर्यावरणविद बहुगुणा का स्वास्थ्य स्थिर
उत्तराखंड में ब्लैक फंगस से एक और मौत हो गई। अब तक प्रदेश में इस बीमारी से दो लोग जान गंवा चुके हैं। गत दिवस 18 मई को इससे संक्रमित 72 वर्षीय महिला ने दम तोड़ दिया। वहीं, कोरोना से संक्रमित प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का स्वास्थ्य स्थित बना हुआ है।
एम्स ऋषिकेश में म्युक्रोमैसिस (ब्लैक फंगस) से ग्रसित 27 लोगों का उपचार चल रहा है। यहां अब तक कुल 30 मरीज भर्ती हो चुके हैं थे। मंगलवार के दिन इनमें से अलीगढ़ यूपी निवासी एक 72 वर्षीया महिला की मौत हो गई। वहीं, कुछ दिन पहले इससे संक्रमित एक मरीज की मौत भी हो चुकी है, जो राज्य में ब्लैक फंगस से हुई पहली मौत है। एम्स में भर्ती ऋषिकेश निवासी एक अन्य 81 वर्षीया महिला को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। शेष 27 मरीजों का उपचार चल रहा है। इनमें से कुल 11 मरीजों की सर्जरी होनी बाकी हैं।
क्या है ब्लैक फंगस
म्यूकोरमाइकोसिस को काला कवक के नाम से भी पहचाना जाता है। संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक फैल जाता है। इस बीमारी में में कुछ गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ती है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। इसी कारण ब्लैक फंगस या ब्लड फंगस से संक्रमित मरीजों की आंख निकालने के मामले सामने आ रहे हैं। अब हर दिन बढ़ रहे हैं मामले गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।
ये हैं लक्षण
गंभीर फंगल इंफेक्शन से गाल की हड्डी में एक तरफ या दोनों दर्द हो सकता है। यह फंगल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ब्लैक फंगल इंफेक्शन किसी व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है, तो उसकी आंखों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण आंखों में सूजन और रोशनी भी कमजोर पड़ सकती है। फंगल इंफेक्शन मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है, जिससे भूलने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आ सकती हैं।
स्टेरॉयड का सही उपयोग करें चिकित्सक
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक कई अस्पताल इस दुर्लभ और घातक संक्रमण में वृद्धि की रिपोर्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डायबिटीज से पीड़ित कोविड-19 रोगियों को जिन्हें इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया जा रहा है, उनमें म्यूकोर्मिकोसिस या “ब्लैक फंगस” से प्रभावित होने की आशंका अधिक होती है। सभी चिकित्सकों को सलाह दी कि वे केवल और केवल तभी स्टेरॉयड का उपयोग करें जब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कोविड गाइडलाइन के अनुसार आवश्यक हो। उन्होंने सभी चिकित्सकों से जीवन रक्षक और जीवनदायी दवाओं का सही खुराक और सही अवधि और सही समय पर उपयोग करने की अपील की। उन्होंने बीमारी के शुरुआती पांच दिनों के दौरान स्टेरॉयड का उपयोग न करने की चेतावनी दी। इसके साथ ही उन्होंने ऑक्सीजन तथा पेयजल के सही उपयोग पर भी जोर दिया।
ये बरतें सावधानियां
-धूल भरे निर्माण स्थलों पर जाने पर मास्क का प्रयोग करें।
-मिट्टी (बागवानी), काई या खाद को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, लंबी बांह की कमीज और दस्ताने पहनें।
-साफ-सफाई व व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
-कोविड संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के बाद और मधुमेह रोगियों में भी रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।
-स्टेरॉयड का सही समय, सही खुराक और अवधि का विशेष ध्यान दें।
-ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ, जीवाणु रहित पानी का उपयोग करें।
-फंगल का पता लगाने के लिए जांच कराने में संकोच न करें।
-नल के पानी और मिनरल वाटर का इस्तेमाल कभी भी बिना उबाले न करें।
शहरों की स्थिति
मुंबई में बीएमसी के बड़े अस्पताल ‘सायन’ में डेढ़ महीने में ब्लैक फंगस के 30 मरीज मिले हैं। इनमें 6 की मौत हुई है और 11 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी। गुजरात में भी ऐसे 50 से 60 मरीज सूरत और अहमदाबाद जैसे शहरों में मिल चुके हैं। उत्तर प्रदेश में इस बीमारी से तीन लोगों की मौत हो गई। साथ ही निजी अस्पतालों में भर्ती काफी मरीजों में इस रोग की पुष्टि हुई थी। उत्तराखंड में भी ब्लैक फंगस से अब तक दो मौत हो चुकी है। वहीं, करीब दो दर्जन से अधिक लोगों में इसकी पुष्टि हुई है।
पर्वावरणविद बहुगुणा की तबीयत स्थिर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में भर्ती पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा की हालत स्थिर बनी हुई है। उनका शुगर लेवल अधिक होने के कारण मधुमेह विभाग की टीम अब उनके अन्य परीक्षण करेगी। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें बीती 8 मई को एम्स में भर्ती किया गया था। उन्हें नॉन इनवेजिव वेन्टिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। मंगलवार को उनके स्वास्थ्य संबंधी देते हुए संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि बीते रोज उनकी शुगर की जांच की गई थी।
उनका उपचार कर रहे चिकित्सकों के अनुसार उनका फास्टिंग शुगर लेवल की रिपोर्ट ज्यादा आ रही है। उनका बीपी सामान्य है और ऑक्सीजन लेवल 93 प्रतिशत है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उनके ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि शुगर ज्यादा होने के कारण अब एन्डोक्रॉयनोलॉजी (मधुमेह विभाग) के चिकित्सकों के परामर्श के आधार पर उनके अन्य परीक्षण किए जाएंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।