आरपी जोशी की कविता- ऐसा तो कभी सोचा न होगा

ऐसा तो कभी सोचा न होगा
कितने अरमान होंगे मन में दबे, कितने सपने आंखों में बसे
टूटकर चूर हो जाएंगे पल भर में, ऐसा तो कभी सोचा न होगा
कितने नाजों से पाला होगा, मां बाप की आंखों का तारा होगा
कलेजा छलनी कर दिया जाएगा, ऐसा तो कभी सोचा न होगा
बहनों की राखी का कर्ज होगा, उनकी रक्षा करना फर्ज होगा
बनकर खुदगर्ज चला जाएगा, ऐसा तो कभी सोचा न होगा
वो यारों का यार होगा, कितना दिलकश उसका किरदार होगा
महफिलें वीरान कर चला जाएगा, ऐसा तो कभी सोचा न होगा (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
जनम जनम का गठबंधन होगा, साथ जीने मरने का वादा होगा
पल भर में साथ छूट जाएगा, ऐसा तो कभी सोचा न होगा
सोचा न होगा कि ये हसीन वादियां यूं अपनों को लील जाएंगी
पल दो पल की खुशियां देकर जीवन भर का ग़म दे जाएंगी
सोचता हूं क्यों हुआ, कैसे हुआ, ऐसा नहीं होना चाहिए था
लेकिन उस नफरती सोच ने तो सब पहले से ही सोच रखा था
सब पहले से ही सोच रखा था ।
कवि का परिचय
आर पी जोशी “उत्तराखंडी”
अनुदेशक
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान टांडी, नैनीताल, उत्तराखंड।
नोट – उक्त कविता भावभीनी श्रद्धांजलि स्वरूप उन माता पिता को समर्पित है, जिन्होंने पहलगाम हिंसा में अपना दिल का टुकड़ा अपना बेटा खोया। उन बहनों को जिन्होंने अपना प्यारा भाई खोया, उन दोस्तों को जिन्होंने अपना जिगरी दोस्त खोया और उन पत्नियों को जिन्होंने अपने सुहाग की निशानी अपने जीवन साथी को खो दिया।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।