सेवानिवृत्त शिक्षक कालिका प्रसाद सेमवाल की कविता-मां योग्य पुत्र बन सकूं

मां योग्य पुत्र बन सकूं
हे मां मनीषिणी
हमें विचार का अभिदान दो
मां योग्य पुत्र बन सकूं
स्वाभिमान का दान दो।
हे मां मनीषिणी
चित्त में सुचिता भरो
कर्म में सत्कर्म दो
व्यवहार में विनम्रता दो।
हे मां मनीषिणी
न कोई किसी से बैर करे
मानव मानव से प्रेम करे
सबको सुमति देना मां।
हे मां मनीषिणी
देवी तू प्रज्ञामयी है
नेह की राह बता मां
हम तुम से प्रार्थना कर रहे है।
कवि का परिचय
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।