अलविदा कह गये प्रख्यात अभिनेता और पत्रकार विश्वमोहन बडोला, संजय दत्त और शाहरूख खान के साथ भी किया था अभिनय
जाने माने पत्रकार और अभिनेता विश्वमोहन बडोला नही रहे। उनका निधन कल मुंबई मे 84वर्ष की आयु मे हुआ। वह काफी दिनो से अस्वस्थ चल रहे थे। विश्वमोहन बडोला थिएटर के क्षेत्र मे प्रतिष्ठित नाम तो थे ही, साथ ही वह अपनी एक अलग मौलिक पहचान के लिये भी जाने जाते रहे। वे एक प्खायात पत्रकार थे। वह हिंदी फिल्म और धारावाहिको मे निरंतर उपस्थित रहे।
उत्तराखंड में विश्व मोहन बडोला का जन्म पौड़ी गढवाल के ठठोली गांव विकासखंड ढांगूमे 1936 में हुआ था। उनका गौरवशाली सफर शुरू हुआ तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा। गम्भीर और महत्वपूर्ण कार्यों के लिये हमेशा जाने गये। उनके निधन की सूचना फेसबुक से मिली। मठपाल जी ने भी वाट्सएप पर पोस्ट डाली। मैम हत्प्रभ रह गया। उनसे मेरी कई मुलाकाते हुई हैं। कुछ बेहद आत्यीयता लिये हुए। इस बात को जानने के लिए भाई संजय कोठियाल से भी जानकारी ली, क्योंकि मैं एकबार बडोला जी से युगवाणी मे भी मिला था। वह कुछ दिनो के लिये अपनी पत्नी के साथ देहरादून आये थे। विश्राम करने के लिए और एक रात संजय भाई के घर भी रुके थे।
कई पत्र पत्रिकाओं में किया काम
मै अपने कुछ संस्मरण शेयर करु इससे पहले जरा प्रख्यात सिने अभिनेता और वरिष्ठ पत्रकार संपादक विश्वमोहन बडोला के विषय मे वह जानकरी देनी आवश्यक समझता हूं जो मुझे मिली हैं। उन्होंने 1962 मे दिल्ली विश्व विद्यालय से बीए आनर्स किया और वायस आफ अमेरिका रेडियो से जुड़े। 1965 मे पैट्रियेट अखबार मे सब एडीटर होते हुए पत्रकारिता शुरू की । 1970 मे वह इन्डिया एक्सप्रेस के चीफ सब ऐडीटर बने। वे नार्दन इन्डिया पत्रिका केन्यूज एडीटर रहे। फीर डेक्न हैरल्ड टाइम्स आफ इन्डिया लखन ऊ और इसी अखबार मे काठमांडू मे विशेष संवाददाता भी रहे ।
1990-92 को दूरदर्शन के लिए करंट अफेयर्स के पर डाक्यूमेंट्री का निर्माण किया। 1993 में पायनियर अखबार के समन्वय संपादक बने। दिशान्तर नाट्य संस्था के संस्थापक रहे। वह साउथ एशिया के देशो के समाचार विशेषज्ञ थे। अमेरिका, मिस्र, सीरिया, मैक्सिको, अर्जन्टीना, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, श्रीलंका, रूस आदि की यात्राएं और रिपोर्टिगं उन्होंने कीं। यह सब जानकारियां नवेन्दु मठपाल की पोस्ट से मिलीं।
कई फिल्मों में किया अभिनय
बडोला जी ने शाहरूख खान की फिल्म स्वदेश सहित जोधा अकबर, मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसी फिल्मो मे अभिनय किया। उनके पुत्र बरुण बडोला धारावाहिक और फिल्म के चर्चित अभिनेता हैं। उनकी दो पुत्रियां भी है। वह उत्तराखंड मे महत्वपूर्ण और बड़ी प्रतिभा की तरह जाने जाते हैं ।
कोटद्वार और देहरादून से रहा नाता
थिएटर की दुनिया के उन गिने चुने अभिनेताओं मे से एक विश्वमोहन बडोला का कोटद्वार और देहरादून से नाता रहा। प्रेस फोटोग्राफर आनन्द ढौंडियाल काका (स्मृति शेष) की बहनों के खास रिश्तेदार थे। वह फाल्तूलाइन स्थित उनके निवास पर आये मेरी उनसे मुलाकात हुई । वहां से मैं और वह युगवाणी पहुंचे। काका के घर पर और युगवाणी तक जाते जाते बहुत चर्चाएं हुई। फिर युगवाणी मे भी। उत्तराखंड मे सांस्कृतिक केन्द्र बनाने और यहां की प्रतिभाओ के संरक्षण और संवर्धन के लिए वह सचेत दिखे। बातो में उन्होंे मोहन उप्रेती ने ईमा खां का भी उस समय जिक्र किया।
बहुत गहरे और जीनियस व्यक्तित्व बडोला दिल्ली के एक समारोह मे भी मिले और काफी देर तक देहरादून का जिक्र करते रहे। वह ओम शिवपुरी, बृजमोहन शाह, रामगोपाल बजाज, राजेन्द्र नाथ जैसै दिग्गजो में से एक थे। उन्होने मोहन राकेश के आषाढ़ का एक दिन, विजय तेन्दुल्कर के खामोश अदालत जारी है, बादल सरकार के एंव इन्द्रजीत और मौलियर कंजूस आदि अनेक नाटको में अभिनय किया। वैसे मुझे लगता है कि ऐसे लोग यहीं रहते है हमारे आसपास। विनम्र श्रद्धांजलि ।
डा. अतुल शर्मा
बंजारावाला देहरादून
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बडोला जी के स्वर्गवास की खबर सुन कर बहुत दुख हुआ
भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. ओम् शान्ति?