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September 22, 2024

पर्यटन विभाग के रिक्त पदों पर जल्द होगी भर्ती, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद बोर्ड बैठक में निर्णय

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उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के गढ़ी कैंट स्थित आईएचएम के सभागार में हुई 21वीं बोर्ड बैठक में विभिन्न प्रस्तावों पर मंजूरी दी गई।

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के गढ़ी कैंट स्थित आईएचएम के सभागार में हुई 21वीं बोर्ड बैठक में विभिन्न प्रस्तावों पर मंजूरी दी गई। बीते साल देश-दुनिया में फैले कोरोना वायरस को रोकने के लिए देश में लगाए लॉकडाउन में हुए नुकसान को देखते हुए माह मार्च 2020 से 30 जून 2021 तक पीपीपी मोड़ पर राज्य में संचालित की जा रही विभिन्न परिसम्पतियों के संचालकों के की ओर से निर्धारित किये गये शुल्क को माफ करने पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इसके साथ ही यूटीडीबी में 51 रिक्त पदों को भरने के लिए जल्द भर्ती प्रक्रिया भी शुरू करने का निर्णय किया गया।
पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने बैठक के बाद कहा कि आने वाले समय में उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की संख्या को दोगुना करने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग प्रतिबद्ध है। इसको ध्यान में रखते हुए विभाग इंटरनेशनल ट्रैवल एंड टूरिज्म फेयर (टीटीएफ) जैसे प्रमुख ट्रेवल इवेंट्स में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता है। धार्मिक पर्यटन के साथ शीतकालीन पर्यटन और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड पर्यटन की ओर से जिला प्रशासन के साथ मिलकर नैनीताल, भीमताल, पंगोट, मसूरी समेत कई स्थानों पर विंटर कार्निवाल आयोजित किए जाने हैं।
इसके अलावा राज्य में साहसिक पर्यटन की गतिविधियों को नियंत्रित करने हेतु पूर्व में विज्ञापित राफ्टिंग एवं पैरामोटर नियमावली के अतिरिक्त उत्तराखंड जल क्रीडा पॉलिसी, ट्रेकिंग रूल्स, पैरामोटर रूल्स तैयार किये जा रहे हैं। उत्तराखंड राज्य में पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने एवं स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार उपलब्ध कराये जाने की दृष्टिगत उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन कैरवान या मोटर हाउस की पहचान दिये जाने के लिए कैरवानिंग नीति तैयार की गयी है। जिसके अन्तर्गत राज्य में आने वाले पर्यटकों के लिए कैरवानिंग वाहन पार्किंग के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर सुविधाएं विकसित की जायेंगी।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बैठक के बाद कहा कि पर्यटन मंत्री की ओर से दिए गए निर्देशों पर गहनता से पालन किया जाएगा। बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णयों से उत्तराखंड पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सचिव पर्यटन ने बताया कि इस मौके पर 20वीं बोर्ड बैठक में लिए गए फैसलों की भी समीक्षा की गई। बैठक में अपर सचिव पर्यटन युगल किशोर पंत, एमडी केएमवीएन नरेन्द्र भण्डारी, अपर सचिव वन एवं पर्यावरण नेहा वर्मा, अपर सचिव पीडब्लूडी अतर सिंह, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक पर्यटन) कर्नल अश्विनी पुंडीर, उप सचिव ऊर्जा प्रकाश जोशी, उपसचिव वित (प्रतिनियुक्ति) दीप्ति मिश्रा, निदेशक वित्त जगत सिंह चौहान, निदेशक अवस्थापना ले. कर्नल (सेनि.) दीपक खंडूरी, अपर निदेशक पूनम चंद, अपर निदेशक विवेक सिंह चौहान, उपनिदेशक योगेंद्र कुमार गंगवार, वरिष्ठ शोध अधिकारी सुरेंद्र सिंह सामन्त, गैर सरकारी सदस्य बसंत सिंह बिष्ट (ऑनलाईन), उत्तरा बंसल, सदस्य मेजर योगेन्द्र यादव, मीरा रतूड़ी, अधीक्षण अभियंता शरद श्रीवास्तव, समीक्षा अधिकारी विपिन चौधरी समेत विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
पर्यटन मंत्री ने की साहसिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा
उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रामनगर में दिसंबर माह में होने वाले साहसिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों की पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को गढ़ी कैंट स्थित उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के सभागार में विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि इस आयोजन में साहसिक पर्यटन से जुड़े स्थानीय हितधारकों को भी आमंत्रित किया जाएगा। पर्यटन समिट के आयोजन से भीमताल, ऋषिकेश, रामनगर, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ समेत अन्य साहसिक पर्यटन गंतव्यों के हित धारकों और टूर ऑपरेटर्स को फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में अवस्थापना विकास पर जोर देते हुए स्थानीय युवाओं को आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करना है। उन्होंने राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटनेयरिग, ट्रैकिंग समेत अन्य क्षेत्रों से जुड़ी संस्थाओं से समिट में शिरकत करने का आह्वान किया।

पीएम मोदी को भेंट की थी लेखक मुकेश नौटियाल की पुस्तक
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे के दौरान उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने एक शिष्टमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुकेश नौटियाल की ओर से लिखी गई पुस्तक “कालड़ी से केदार” भेंट की थी। उत्तराखंड के हिमालयी अंचल से भारत के सामुद्रिक इलाके के तेरह सौ साल पुराने सांस्कृतिक संबंधों को आधुनिक संदर्भ में रेखांकित करते हुए इस यात्रा-वृतांत के लेखक मुकेश नौटियाल ने किताब को लिखते हुए दक्षिण भारत की दो सघन यात्राएं की। आदिगुरु शंकराचार्य को उन्होंने एक महान सांस्कृतिक दूत बताते हुए लिखा है कि विविधताओं से भरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने का पहला परिणाममूलक कार्य आदिगुरु ने ही किया है। प्रधानमंत्री ने केदारपुरी में आदिगुरु की प्रतिमा की पुनर्स्थापना को उन्होंने सांस्कृतिक संबंधों की पुनर्स्थापना बताया था।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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