पढ़िए युवा कवयित्री प्रीति चौहान की ये सुंदर रचना-फिर उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
फिर उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
फ़ुर्सत के पलों मे बैठकर सोंचती हूँ
क्यों कोई अपनी जिंदगी से रुख्सत करता होगा
कैसे कोई अपनी साँसों के आते-जाते सिलसिले को रोक देता होगा
कैसे वो अपने हसीन ख्याबो को तोड़ देता होगा
मैं सोचती हूँ आखिर वो ये सब क्यों कैसे कर जाता होगा
कुछ सोचता होगा कुछ समझता होगा
फिर अपनी जिंदगी से अलविदा कहता होगा
शायद अकेलापन उसे खलता बहुत होगा
वो कुछ किसी से पूछता तो होगा
पूछता होगा कि मेरी जिंदगी में गमो के सिवाय
और कुछ होगा कि नहीं
उसके सवालों का किसी ने जवाब नही दिया होगा
फिर उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
औरो को हँसते हुए देखकर वो सोचता तो होगा
कि एक मेरे पास ही हँसने की हसरत क्यों नही
ज़िन्दगी में मेरे सिवा ही किसी को मेरी जरूरत क्यों नही
वो खास है किसी ने उसे ये अहसास नही दिलाया होगा
फिर उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
उसे अपनो से दूर जाते हुए किसी ने तो देखा होगा
वो बंद कमरे मे बेजान दीवारों के सामने रोता तो होगा
कहा तो होगा उसने किसी से कि
मुझे तुमसे बात करनी है कुछ कहना है तुमसे
उसकी तकलीफ किसी ने नही समझी होंगी
फिर उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
उसके भी कुछ सपने होंगे
वो भी एक खूबसूरत जिंदगी जीना चाहता होगा
पर इस मोड़ पर उसका साथ किसी ने नही दिया होगा
फिर उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
ज़हर की शीशी खोलने से पहले उसने कुछ तो सोचा होगा
रिश्तों की जंजीर ने उसे रोका तो होगा
उसका अपना कोई उसके पास तो होगा
पर शायद दिल के खास नही होगा
फिर उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
उसके चले जाने पर हम उसकी बाते करते बहुत है
उसे कायर कहने लगते है और कहते
उसे ज़िन्दगी जीने का हौसला नही होगा
इसलिए उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
पर मैं फुर्सत के पलों में बैठकर सोचती हूँ
यूँ ही कोई अपनी जिंदगी से अलविदा नही कहता होगा
उसने कितना कुछ सहा होगा
वो कितना अकेला रहा होगा
तभी उसने इस हसीन जिंदगी से चले जाना ही मुनासिब समझा होगा
उसने अपनो को बेदर्द होते हुए देखा होगा
सब सहते सहते हो थक गया होगा
जब टूटता मंजर उससे सहा गया होगा तब
जीने से ज्यादा उसने चले जाना ही जरूरी समझा होगा
जब जिंदगी मे उसने खुद को किसी के लिए जरूरी नही समझा होगा
तब यूँ हुआ होगा उसने जिंदगी से अलविदा कह दिया होगा
अलविदा कह दिया होगा
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (द्वितीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
wow ati sunder