बदरीनाथ धाम की मनमोहकता पर पढ़िए युवा कवयित्री की रचना
फूलों का मुकुटा सजा, फूलों के हैं हार ।
फूलों की है ओढनी, फूलों से मनुहार ।
फूल के जैसी प्रीत मेरी ,फूल-से मेरे नाथ ।
मन प्रभु जी मेरा रहे, सदा आपके साथ ।।
छह महीनों देखा तुम्हें, छः मास बाद होंगे दर्शन।
प्रभु जी तुम से हो गया, प्रेममयी अद्भुत आकर्षण ।।
ये वियोग के शेष महीने, जाने कैसे बीतेंगे ।
कब बद्रीश्वर दर्शन देंगे, आनंद के घन रीतेंगे ।।
सांसे पल-पल चरण चूमने, स्वामी आती जाएंगी ।
जय बद्रीश्वर जय बद्रीश्वर, स्तुति सुनाती जाएंगी ।।
प्रभु बावरा मन झूमेगा, देख तुम्हारे ठाठ ।
आज बंद तो शीघ्र खुलेंगे, धाम के दिव्य कपाट ।।
कवयित्री का परिचय
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता -दीपेंद्र पुरोहित
माता -दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
अध्ययनरत – हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर मे बीए प्रथम वर्ष की छात्रा।
निवास-कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।