पढ़िये युवा कवयित्री किरन पुरोहित की नई रचना हे विशाल हे नगाधिराज
हे विशाल हे नगाधिराज ,
विस्तृत हो छूते आकाश ।
हे गिरीष हे तुंग शीश ,
तुमसे ही मैं सम्मानिता ।।
शत नमन हिमालय हे पिता ,
शत नमन हिमालय हे पिता ।।
कैसा विस्तृत ये स्वरूप ,
इस धार छैल उस पार धूप ।
हे उदार हे स्वर्गद्वार ,
तुमसे ही मैं सम्मानिता ।।
शत नमन हिमालय हे पिता ,
शत नमन हिमालय हे पिता ।।
हे शंकर के नित्यवास ,
हे नंदा के घर कैलाश ।
हे तपोभूमि हे दिव्यधाम ,
तुमसे ही मैं सम्मानिता ।।
शत नमन हिमालय हे पिता ,
शत नमन हिमालय हे पिता ।।
हे सुरसरिता की जन्मभूमि ,
हे वीर भडों की कर्मभूमि ।
हे केदार हे बद्रीनाथ ,
तुमसे ही मैं सम्मानिता ।।
शत नमन हिमालय हे पिता ,
शत नमन हिमालय हे पिता ।।
हे सृष्टि के मानदंड ,
हे अथाह पितु हे प्रचंड ।
हे देवात्मा हे देवतात्मा ,
तुमसे ही मैं सम्मानिता ।।
शत नमन हिमालय हे पिता ,
शत नमन हिमालय हे पिता ।।
………….किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
लेखिका का परिचय —
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता – श्री दीपेंद्र पुरोहित
माता – श्रीमती दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
आयु – 17 वर्ष
अध्ययनरत – कक्षा 12वीं उत्तीर्ण
निवास, कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।