Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

October 27, 2025

पढ़िए सोमवारी लाल सकलानी की कविता-लौटेगा क्या बीता बचपन

लौटेगा क्या बीता बचपन ?

लौटेगा क्या मीठा बचपन अरु वह ऊर्जावान जवानी ,
मित्र पुराने साथी- सहपाठी अरु जीवन कथा पुरानी?
लौटेंगे क्या दिन अतीत के अरु दिन इतिहास के प्यारे,
निर्झर निर्मल निश्छल शैशव अरु बीते युग की कहानी?

फूलेगा क्या सुमन मही में अरु पारिजात की फुलवारी,
स्पंदन करती पौध डालियां अरु प्रिय शीशम की झाड़ी।
गुंगारित अलिसुत उपवन अरु पैयां की वह सुंदर ड़ाली ,
कलरव स्वर में खग कुल गाते अरु लतिका भोली भाली।

आम्र बौर नवपल्लव पुलकित अरू बसंत की हरियाली,
सरसों पुष्प सरस समीर संग अरू नन्हे पौध की क्यारी।
लौटेगी क्या मधु ऋतु आंचल अरु तापस दिनकर पारी ,
निशांत भोर में हंसता जीवन अरु सुंदर यह दुनिया सारी।

कवि का परिचय
सोमवारी लाल सकलानी, निशांत ।
सुमन कॉलोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *