पढ़िए युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता- काली रात फिर से आयेगी….
काली रात फिर से आयेगी….
वही दरिंदगी से भरी रात फिर आयेगी..
किसी मासूम निर्भया की इज्जत फिर निलाम की जायेगी….
हम सड्को पर मोमबत्ती जलाकर चिल्लाते रह जायेगे…
कही और फिर से दरिंदगी और हवानियत की हदे पार हो जायेगी…
एक बार फिर नोचे हुए जिस्म की रुह-रुह चिल्लायेगी…
ओर हम अखबारो मे सुर्खिया पडते रह जायेगे……
समाज घर से अकेले क्यो निकली इन सवालो के जबाब की तलाश मे लग जायेंगे…..
और इंसानियत फिर से शर्मसार की जायेगी….
आखिर मेरे साथ ऐसा क्यो हुआ, गलती क्या थी मेरी…
ये सोच-सोच कर उसका सांसे थम जायेगी…
फिर भी गलती उसी लडकी की निकाली जायेगी..
शायद उन्हे फांसी तो हो जायेगी…
पर सोचा है कभी उन मा-बाप के घर को अब कौन महकाएगी…
उस भाई के हाथ को राखी से कौन सजायेगी….
कब तक इन हैवानो को माफी दी जायेगी…
आज उसकी तो कल किसी ओर की बेटी की जान जायेगी….
वही काली रात फिर से आयेगी….
शासन वही हैं क़ानून वही है…..
बस हर बार निर्भया नई है….
उठता शोर उठता तूफान वही है….
बस हर बार निर्भया नई है….
निर्भया नई है….
वही काली रात फिर से आयेगी..….
फिर से आयेगी…….
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (द्वितीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।