पढ़िए दीनदयाल बन्दूणी की गढ़वाली रचना- हमरु इत्यास
‘हमरु इत्यास.
डॉडी – कॉठ्यूं क हम , छवां रैवासी.
हम छवां गढवऴी भैजि, पाड़ा का वासी..
सीधी च बोलि हमरि , सीधी च चाल.
गढ़देश हमरू च , भारता कु भाल..
दुखम पल्यां छवां हम, दुखम रयां छवां.
दोसरौं कु दुख तैं हम , जड़दा छवां..
सुख क्याच , हमन कबि भी नि जांड़ी.
सदान जिंदगीम , दुख ही पच्छ्याड़ी..
रात – दिन यख रैंद , बस काम – धाम.
ज़रा बि नि मिलदू , चैन – अराम..
गोर – बखरा यख , जीवन अधार.
घास – लखड़ू कु यख , चलद ब्योपार..
कोदा – झुंगोरा कू , यख सादु खॉड़ू.
धोती- कुरता-पैजमा , टोपला कु लॉड़ूं..
सिर फरि सिरफूल अर , नाखा नथूली.
ब्यटलौं कि रैंद यख , गाळा हंसूऴी..
रौली- गदेर्युं कु यख , गुंजद संगीत.
एक – हैंकाम यख , उपजद प्रीत..
बाॅजा कि जाड़्यूं कु , ठंड – मिठु पॉड़ीं.
फर – फर हवा चलद , डाल्यूं हिल़ॉड़ी..
डाल्यूं म बैठि यख , घुघती घुरांद.
चखल्यूं चुचट यख , रात खुलांद..
देवी – देवतौं का दगड़ , शंखा टुंकार.
स्यू अर बाघा कि यख , सुड़िंद हुंकार..
कैलाश डॉडि यख , शिवजी कु वास.
ह्यूं पड़्यूं रैंद यख , द्याखा बारामास..
डौंरी – थकुलि अर , धूपा कि बास.
ढुंगा- डाऴौ पे लिख्यूं , यखाकु इत्यास..
डॉडी – कॉठ्यूं क हम , छवां रैवासी.
कवि का परिचय
नाम .. दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन
गाँव.. माला भैंसोड़ा, पट्टी सावली, जोगीमढ़ी, पौड़ी गढ़वाल।
वर्तमान निवास-शशिगार्डन, मयूर बिहार, दिल्ली।
दिल्ली सरकार की नौकरी से वर्ष 2016 में हुए सेवानिवृत।
साहित्य
सन् 1973 से कविता लेखन। कई कविता संग्रह प्रकाशित।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।