पढ़िए भूपेन्द्र डोंगरियाल की गढ़वाली कविता- लाचार च त्यारू गौं
लाचार च त्यारू गौं
भुलाओ उत्तराखण्ड का,
धारा-पन्यारा बिसिकि गीं।
धुर्पली का पाथर रैडिकि,
ज़मीन म खिसिकि गीं।
ल्यो देखो तुम भी देखो,
खण्डहर हुँयीं ये गों की तसवीर।
पिछनै मुड़ी कि द्याखो तुम भी,
अपणी घार-गौं कि फूटीं तकदीर।
दी तुम भी पलायन कैरि ग्यो,
सिकसौर म तड़फ़ी की।
क्या तुमरा पुरण्या खुश होला,
यीं विकास गंगा थैं देखि की। (कविता जारी, अगले पैरे में देखें)
यूँ रुन्दा-चूँदा कूड़ों की फ़िक्र,
क्या अब तुमरा पितृ कारला।
स्वर्ग म बैठ्यां ददी-दाजी,
तुमरा खुशियों का जिक्र कारला।
न भुला न रै ना इन बात नीच,
तु टक लगै कि सूणी जा।
बस्काल म त्यारा पुरण्यो कि,
कूड़ी अब ठन-ठन रुणी चा।
भारै फिर क्वी इन ना बोल्यां,
कि हम पर घरभूत लग्यूं च।
अपणु उत्तराखण्ड थैं बचाणा कु,
म्यारु यो गीत लिख्युं च।
रन्त-रैबार अर खबर-सार त,
फेसबुक ट्वीटर पर मील जान्द।
पर यों टूटीं कुड़ियों थैं भी दगड्यो,
यख तुमरी याद खूब आंद।
हर आण-जाण वला मनख्यूं थैं,
पुछन्द रैंदी ये तुमरी सार खबर।
अफ़सोस च नयूं उत्तराखण्ड म,
लाचार च त्यारु गौं खुश च नगर।
रचनाकार का परिचय
नाम- भूपेन्द्र डोंगरियाल
जन्म स्थान- ग्राम- बल्यूली, जनपद-अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड।
वर्तमान पता- आईटीआई कैम्पस, निरंजनपुर, देहरादून।
भूपेन्द्र डोंगरियाल उत्तराखण्ड राज्य सरकार के सेवायोजन एवं प्रशिक्षण अनुभाग में अनुदेशक के पद पर कार्यरत हैं। वर्जिन साहित्यपीठ के सौजन्य से अभी तक उनकी पाँच ई बुक्स प्रकाशित हो चुकी हैं।
मोबाइल नम्बर-
8755078998
8218370117
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।