देहरादून में फिर से बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की तैयारी, सामाजिक संगठनों का विरोध, निकालेंगे रैली

एक बार फिर से विकास के नाम पर देहरादून में भारी संख्या में पेड़ों के कटान की तैयारी चल रही है। इसके विरोध में फिर से सामाजिक संगठनों ने आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। आंदोलन के तहत देहरादून के पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा। साथ ही दो मार्च को रैली भी निकाली जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में पिछले साल भी विभिन्न सामाजिक संगठनों ने पेड़ों के कटान के खिलाफ आंदोलन किया था। सामाजिक संगठनों का कहना है कि विकास के नाम पर पेड़ों के कटान के चलते देहरादून का पर्यावरण बिगड़ गया है। गर्मी भी बहुत ज्यादा पड़ी और सर्दी और बारिश पर भी इसका असर पड़ा है। सहस्त्रधारा रोड में खलंगा स्मारक के पास, कैंट रोड और कैनाल रोड जाखन आदि क्षेत्र में पेड़ों के कटान के विरोध में आंदोलन हुआ तो सरकार को झुकना पड़ा था। साथ ही सहत्रधारा रोड पर जलाशय निर्माण के लिए पेड़ों के कटान की योजना को दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब फिर से पेड़ों के कटान की जानकारी मिलने पर सामाजिक संगठन सक्रिय हो गए हैं। देहरादून में बुद्धा चौक के निकट देहरादून सिटी स्टार होटल में सिटीजंस फॉर ग्रीन दून, देहरादून सिटीजंस फोरम की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। इसमें वक्ताओं ने कहा कि भानियावाला से ऋषिकेश तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर 3357 पेड़ों को काटने की योजना है। इसी तरह नई मसूरी रोड केलिए करीब 20000 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाने हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि अब तक शहर में भारी संख्या में जो पेड़ों का कटान किया गया, उससे दून शहर के पर्यावरण पर बुरा असर पड़ा है। देवलसारी से आए अरुण गौड़ ने विशेष रूप से पेडों के साथ-साथ वन्य जीवन और शुद्ध पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव पर अपनी बात रखी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में तय किया गया कि पेड़ों को कटने से बचाने के लिए आगामी दो मार्च की सुबह करीब साढ़े सात बजे दिलाराम बाजार से सेंट्रियो मौल तक रैली निकाली जाएगी। रैली के माध्यम से मुख्यमंत्री से ये अपील की जाएगी कि इस तरह से अंधाधुंध पेड़ों के संहार को तुरत रोका जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भानियावाला से ऋषिकेश तक पेड़ कटान की चर्चा के दौरन वक्ताओं ने कहा कि ये पूरा इलाका शिवालिक रिजर्व का एक भाग है। इस भाग में पेड़ कटान होने से हाथियों के आवागमन पर बुरा असर पड़ेगा। हाथी आबादी की ओर आने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इससे मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ेगा और इंसानी जान माल के नुकसान की घाटनाएं वृहद रूप से बढ़ जाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दूधली से आए हुए ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर बेहद खूबसूरत साल के जंगल हैं। इनको मसूरी जाने वाली सड़क के लिए कट दिया जाएगा। मसूरी से आई ईशा गुप्ता ने बताया कि मसूरी के लिए जहां से सड़क प्रस्तावित है, वहां बेहद सुंदर बुरांश, बांज और देवदार के पेड़ हैं। उनके मुताबिक मसूरी की धारण क्षमता 1990 में ही खत्म हो गई थी। मसूरी के वासी भी इस सड़क के बनने से खुश नहीं हैं। उनके हिसाब से मसूरी पहले से ही ओवर टूरिज्म का शिकार है एवं इसका पर्यावरण बेहद खराब दौर से गुजर रहा है। इसलिए सरकार को इस सड़क को बनाने पर पुनर्विचार करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन मेंदीरत्ता ने कहा कि जब मसूरी के लिए पहले ही तीन सडक हैं और एक रोपवे बन रहा है, तो फिर एक और सड़क की क्या आवश्यकता है। हिमांशु अरोरा ने बैठक का संचालन किया। इस बैठक में इरा चौहान, परमजीत कक्कड़, रुचि, छबि मिश्रा, मनोज ध्यानी, जीएस रजवार आदि ने भी अपने विचार रखे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।