जान जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे उपनल और पीआरडी जवान, सरकार ने तीन माह से नहीं दिया वेतन, कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सीएम को लिखा पत्र
उत्तराखंड में कोरोनाकाल में पीआरडी जवान अपनी जान को जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे हैं। होम आइसोलेशन वाले कोरोना संक्रमितों को कोविड किट वितरण हो या फिर शवों का अंतिम संस्कार। इन सभी कार्यों में वे बढ़चढ़ कर सहयोग कर रहे हैं। उन्हें इसका इनाम तो नहीं मिला, लेकिन उपेक्षा जरूर की गई। इसे लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन जवानों के वेतन भुगतान की मांग की है।
पीआरडी जवान उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना से उनके आवास पर मिले। उन्होंने बताया कि अभी तक उन्हें तीन माह का वेतन तक नहीं मिला है। ऐसे में परिवार की रोटी रोजी का जुगाड़ करने में परेशानी हो रही है। इस पर धस्माना ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश में तैनात हजारों उपनल कर्मचारियों के साथ ही पीआरडी जवानों को शीघ्र वेतन भुगतान की मांग की। धस्माना के मुताबिक उपनल कर्मियों की भी इसी प्रकार की समस्या सामने आई है। वे भी अस्पतालों में तैनात हैं। उन्हें भी समय से वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कोविड19 में विभिन्न विभागों, अस्पतालों कोविड केयर सेंटरों, काल सेंटरों में तैनात उपनल कर्मचारियों व पीआरडी जवानों को तीन चार महीनों से वेतन न मिलने का मामला लाना चाहता हूं। महोदय यह राज्य की सरकार राज्य के शाशन व समाज के लिए अफसोसनाक ही नहीं, बल्कि शर्म का विषय है कि अपनी जान जोखिम में डाल कर ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को तीन से चार महीने वेतन ही नहीं मिल रहा है। ये कर्मचारी जो अल्प वेतन पाते हैं और उसी से अपना परिवार चलते हैं। किस प्रकार से अपने घर का चूल्हा भी जलवा पाते होंगे। बड़ा सोचनीय प्रश्न है। आज जब अधिकांश लोग कोरोना की दूसरी लहर के भय से व ब्लैक फंगस के खौफ से घरों में बैठे हैं, ये उपनल कर्मचारी व पीआरडी के जवान अपनी जान जोखिम में डाल ड्यूटी निभा रहे हैं। उस पर अगर इनके साथ इस प्रकार का अमानवीय काम किया जा रहा है तो यह बहुत अफसोसनाक है।
मेरा आपसे अनुरोध है कि बिना विलंब के आप आज ही इन सभी उपनल कर्मचारियों व पीआरडी जवानों को वेतन दिए जाने के आदेश पारित कर इनकी समस्या का समाधान करने का कष्ट करें।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।