युवा कवि प्रतीक झा की कविता- ओपेनहाइमर: देशभक्ति और मानवता का नाम
मानवता पर छाया संकट,
हिटलर जब सत्ता में आया।
वैज्ञानिकों पर चिंता गहरी,
जब परमाणु विखंडन ने पथ दिखाया।
फिर
देश बचाने, मानवता को जगाने,
विज्ञान के रहस्य को सुलझाने,
दुनिया को चेताने,
प्रतिभाओं के सरदार,
ओपेनहाइमर आए।
युवा भौतिक विज्ञानी,
जब खड़ा रेगिस्तान के बीच।
आया वह दिन भयानक,
आकाश में छा गया अंधकार,
काँपी धरती, फटा सूरज,
पहला विस्फोट अद्भुत था!
मानवता सिहर उठी,
जब हिरोशिमा, नागासाकी,
बम की विभीषिका में समाए।
दुनिया में गूँजा नाम,
वह जनक परमाणु बम का कहलाए।
लेकिन
भविष्य का कौन था ज्ञाता,
कौन जानता था,
देशभक्ति की जीत में भी,
मानवता को संकट मिल जाएगा।
विज्ञान और नैतिकता के इस द्वंद्व ने,
उसकी आत्मा को झकझोर दिया।
उसकी महान खोज ने,
उसे अंतहीन पीड़ा में घेरा।
फिर
विश्व को समझाने,
मानवता को जगाने,
निकल पड़ा अपना धर्म निभाने।
दांव पर रखा सब कुछ,
जो कमाया था प्रतिभा से।
खो दिया उसने सब,
फिर भी निभाया अपना कर्तव्य। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिका की सरकार हो या कोई और,
सबको उसने राह दिखलाई।
भयावह विनाश की इस दौड़ से,
विश्व को उसने चेताया।
वह कहता,
छोड़ दो ये संघर्ष निरर्थक,
छोड़ दो ये अहंकार।
मान लो कानून और संधि,
मुक्ति दो हमें ग्लानि से।
ताकि
मानवता का हो सम्मान,
और विज्ञान का हो उत्कर्ष।
अब
कब आएगा फिर ऐसा कोई,
जो ओपेनहाइमर सा होगा?
दांव पे सबकुछ लगाएगा,
फिर भी विश्व को राह दिखलाएगा।
ओपेनहाइमर, बस नाम नहीं,
कर्तव्य है देशभक्ति का।
शान है मानवता की।
ओपेनहाइमर, ओपेनहाइमर,
तुम जैसा महान फिर कब आएगा?
कवि का परिचय
नाम- प्रतीक झा
जन्म स्थान- चन्दौली, उत्तर प्रदेश
शिक्षा- एमए (गोल्ड मेडलिस्ट)
शोध छात्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।