रुद्रप्रयाग के कवि कालिका प्रसाद सेमवाल की कविता-माँ बच्चों की जान है
माँ बच्चों की जान है
माँ ईश्वर की अनुपम कृति है
माँ के बिना सृष्टि अधूरी है,
माँ त्याग ,तपस्या की देवी है
माँ बच्चे की प्रथम शिक्षिका होती है।
माँ परिवार की पहचान है
माँ बच्चों की जान होती है,
माँ का प्यार और आशीर्वाद
जीवन की सबसे बड़ी धरोहर है।
माँ के चरणों में जन्नत होती है
माँ ही धरा के चारों धाम है,
माँ का दिल समुन्दर जैसा होता है।
माँ करुणा की देवी होती है।
माँ का कोई मोल नहीं है
माँ शब्द ही अनमोल है,
माँ धरती सी धैर्यवान है
माँ ममता की प्रतिमूर्ति है।
माँ तन, मन, धन, सब कुछ है
माँ पर ये जीवन अर्पित है,
माँ ममता का सागर होती है
माँ धरा पर भगवान का रूप है।
माँ वीणा की झंकार होती है
माँ मंदिर का कलश जैसी है,
माँ नुपूर की झंकार जैसी है
माँ गीता, रामायण की चौपाई है।
माँ गीत, गजल, और कहानी है
माँ के बिना दुनिया वीरानी है,
माँ ऋतुराज वसन्त जैसी है
माँ की महिमा का अन्त नहीं है।
माँ हिमालय सी धवल है
माँ गंगा सी पतित पावनी है,
जिसको माँ का प्यार मिला है
उसी को सारा संसार मिला है।
कवि का परिचय
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
माँ बच्चों की जान, सुन्दर रचना?