कवि श्याम लाल भारती की कविता-जब सरकार बड़ी है

जब सरकार बड़ी है
बेरोजगारी दूर होगी अब कैसे,
डिग्रियां जब जेबों में पड़ी हैं।
रोजगारी के सपने लेकर,
आशा मन में क्यों बड़ी है।
क्या करेगा झूठे सपने लेकर,
जब सरकार, यहां सबसे बड़ी है।।
पर आमजन को कौन पूछे यहां,
जब नहीं किसी को कुछ पड़ी है।
अकेले लड़कर भी क्या करोगे,
सेना नहीं कोई पीछे खड़ी है
जिद छोड़ दो रोजगारी की अब,
जब सरकार, यहां सबसे बड़ी है।।
बेरोजगार जब बेरोजगारी का,
निशान लिए माथे पर खड़ी है।
कर्ज का खजाना लिए अब,
सरकारें, साथ तेरे खड़ी हैं।
ले लो खजाना कर्ज का तुम,
जब सरकार, यहां सबसे बड़ी है।।
“बहता जा इस कर्ज की धारा में,
किसी को तेरी क्या पड़ी है।
चुका न सका खजाना कर्ज का तो
जेल की कोठरी इंतजार खड़ी है।
मत कर अब ऎसी नादानी
जब सरकार, यहां सबसे बड़ी है।।
आज नहीं तो कल जनता जागेगी,
उसे भविष्य की चिंता बढ़ी है।
सड़को पर उतर आएगा अपनी खातिर,
कहेगा नहीं सरकार वतन से बड़ी है।।
वतन से बड़ा कोई नहीं होता यहां
लोकतंत्र सरकार से बड़ी है।
समझो जानो अब सत्ताधारियो,
बेरोजगारों की सेना, लड़ने खड़ी है
“ये बातें ही हमारी सरकारों को,
डुबाने जनता नाव लिए खड़ी है।
आज नहीं तो कल बेरोजगार कहेगा,
नहीं सरकारें जनता से बड़ी है।।
बड़ी है, बड़ी है।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।