शिक्षक दिवस पर कवि कालिका प्रसाद सेमवाल की कविता-शिक्षक शिष्य का भाग्य विधाता

शिक्षक शिष्य का भाग्य विधाता
शिक्षक दिवस अति पावन है,
सब शिक्षक जनों का अभिनंदन है।
जो भी शिक्षकों को नित वंदन करता,
जीवन उसका सफल हो जाता है।
हम जड़वत थे गुरुदेव जी,
अक्षर ज्ञान दिया तुमने ही।
भले बुरे का बोध कराकर,
पढ़ना- लिखना सिखाया आपने ही।
शिक्षक विद्या का ज्ञान कराए,
बुद्धि और कर्म को सन्मार्ग दिखाये।
शिक्षक सम्बल और शक्ति का सार है,
इनका तेज प्रताप वंदनीय है।
मेरे मन-मंदिर में सदा समाहित,
नित नेह की राह बताते हो!
व्यापक ज्ञान तुम्हारा असीमित,
क्षण-क्षण में राह दिखाते हो।
शिक्षक शिष्य का भाग्य विधाता,
आगे बढ़ने की राह बताता है।
शिक्षक का करता जो भी सम्मान,
वह बनता है जीवन में महान।
शिक्षा का अमृत प्याला देकर,
मैं जीवन में कुछ कर पाया हूँ।
मन में बसी आपकी पावन स्मृतियाँ,
नीति मूल्यों की राह चल पाया हूँ।
ममता समता शुचि की सीख देता,
अक्षर से अन्तरिक्ष का ज्ञान देता।
शिक्षकों की मैं गाथा गा कर,
उनको शत्-शत् वन्दन करता हूँ।
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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