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September 17, 2025

कवि ललित मोहन गहतोड़ी की कविता-नाटक

कवि ललित मोहन गहतोड़ी की कविता-नाटक।

नाटक

सुन चेतुआ ना रार कर…
नाटक ना बार बार कर…

सुंदर शब्दों का संचय कर
नित जीवन अपना उदय कर
अच्छा हुआ है अच्छा होगा
अच्छे से श्रृंगार कर
सुन चेतुआ ना….

अच्छे को अच्छा कहते हैं
अच्छा कर अच्छा भरते है
अच्छाई पर सब मरते हैं
अच्छा सोच विचार कर
सुन चेतुआ ना…

तंगी में जीवन बिता ले
मंदी में भी मुस्कुरा ले
रूखा सूखा खा पीकर
शीतल जल से प्यार कर
सुन चेतुआ ना…

टांग अड़ाना छोड़ दें अब तो
राज दिलों का बोल दे अब तो
दिल के फाटक खोल दे अब तो
तोल मोल कर व्यापार कर
सुन चेतुआ ना…

मझधार में पतवार है
जीवन बिन खेवनहार है
किश्ती में सवार है अब तू
कूद जा मत विचार कर
सुन चेतुआ ना…

कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।

Bhanu Bangwal

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मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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