शिक्षक श्याम लाल भारती की दिल को झकझोर देने वाली कविता- वीर बाला तीलू
वीर बाला तीलू
गुराड गांव के लोगों से हमने
सुनी एक कहानी थी
लक्ष्मी बाई का अवतार थी वो
पिता भूप सिंह की निशानी थी
तल्ला गूराड पौड़ी में जन्मी वो
क्या गजब उसकी कहानी थी
1661 में जन्म लेकर उसने,
कहानी कत्युरियों की मिटानी थी
गूराड़””””””””””””””””””””थी।
लक्ष्मी””””””””””””””””””थी।।
दो भाईयों संग पली बड़ी वो
मां की दिल की रानी थी
न जानें क्यों इस धरा में
बननी उसकी अमर कहानी थी
इसीलिए तो गुरु शिब्बू जी ने
तलवार उसे सीखनी थी
उस वक्त राजा धम्म शाही कत्यूरी था
लूटपाट करना उसकी कहानी थी
पिता को खो चुकी थी वो अब
उसे कत्युरियो की कहानी मिटानी थी
गुराड””””””””””””””””””थी।
लक्ष्मी””””””””””””””””””थी।।
बकरी, फसलें कीमती सामान लूटते थे वे
तीलू ने गढ़वाल की पीड़ा जानी थी
संगठित कर महिलाओं की सेना
दुष्ट कत्युरियो को नानी याद दिलानी थी
गुराड”””””””””””””””””””थी।
लक्ष्मी”””””””””””””””””थी।।
15 वर्ष में सात युद्ध लड़कर
13 गढ़ो पर विजय पानी थी
दुष्ट कत्यूरियो के चंगुल से
स्लड महादेव, कालागढ़ मुक्त करानी थी
गुराड़””””””””””””””””””थी।
लक्ष्मी””””””””””””””””””थी।।
कालिका खाल युद्ध भूमि बनी अब
बेलू देवली ने संग जाने की ठानी थी
अपनी दोस्त पर जान कुर्बान करने की
दोनों ने मन में ठानी थी
गुराड”””””””‘”””””””””””थी।
लक्ष्मी””””””‘”””””””””””””थी।।
खून से लथपथ हो गई धरती
दुष्टों को अपनी जान बचानी थी
टिक न सकीं कत्युरियो की सेना
ओझल आंखो से उनकी कहानी थी
भाग गए रण का मैदान छोड़कर
तीलू तेरी क्या गजब कहानी थी
गुराड”””””””””””””””””””थी।
लक्ष्मी””””””””””””””””””थी।।
कुछ ही दूर जलस्रोत देखकर
तीलू को अपनी प्यास बुझानी थी
होगा, धोखे से वार दुष्टों का उस पर
तीलू ने यह बात नहीं जानी थी
राजू रजवार ने धोखे से वार करके
खत्म कर दी तीलू की जवानी थी
अन्तिम सासें थी हलक में बची हुई
उसे रजवार की कहानी मिटानी थी
गुरा ड”””””””””””””””””””””थी।
लक्ष्मी””””””””””””””””””””””थी।।
मारा जब दुष्ट रजवार को उसने
शांत उसकी अब जवानी थी
छाया अंधकार प्रकृति में भी
बची नहीं,अब कोई निशानी थी
अमर हो गई तीलू अब
वो सदा के लिए सो गई थी
याद रखेगी गढ़ भूमि सदा उसे
क्या अजब उसकी कहानी थी
गुराड गांव के लोगों से हमने
सुनी एक कहानी थी
लक्ष्मी बाई का अवतार थी वो
क्या गजब उसकी कहानी थी
कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।